नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में किसान यात्रा पर निकले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी आज राम की नगरी अयोध्या में हैं। अयोध्या में राहुल हनुमानगढ़ी मंदिर में पूजा अर्चना करेंगे हालांकि विवादित राम जन्मभूमि पर उनके जाने को लेकर अब तक सस्पेंस बना हुआ है। 24 साल बाद गांधी परिवार का कोई शख्स अयोध्या पहुंचा है। राहुल गांधी के इस कदम को हिंदुओं को कांग्रेस से जोड़ने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी महत्वकांक्षी किसान यात्रा और खाट सभा से पहले प्रसिद्ध दुग्धेश्वर नाथ मंदिर में पूजा अर्चना की थी और अब किसान यात्रा के चौथे दिन राहुल गांधी अयोध्या में हैं। अयोध्या को हिंदुत्व एजेंडे वाली राजनीति का गढ़ कहा जा सकता है और यहां भी राहुल गांधी अपनी यात्रा की शुरुआत हनुमानगढ़ी मंदिर से करेंगे।
उत्तर प्रदेश में किसान यात्रा पर निकले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी आज राम की नगरी अयोध्या में हैं। अयोध्या में राहुल हनुमानगढ़ी मंदिर में पूजा अर्चना करेंगे हालांकि विवादित राम जन्मभूमि पर उनके जाने को लेकर अब तक सस्पेंस बना हुआ है।
कांग्रेस के कार्यक्रम के मुताबिक राहुल गांधी विवादित रामजन्मभूमि स्थल पर नहीं जाएंगे क्योंकि ऐसा करने से मुस्लिम वोटरों में गलत संदेश जाने का खतरा है। हालांकि कांग्रेस हिंदू वोटरों को साधने के साथ साथ मुस्लिम वोटरों को भी पार्टी से जोड़े रखने में जुटी है इसलिए राहुल गांधी शुक्रवार शाम अंबेडकरनगर के मशहूर किछौछा शरीफ दरगाह पर चादर भी चढ़ाएंगे।
केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले के मुताबिक उन्होंने अयोध्या से किसान यात्रा शुरू की है, लेकिन लगता नहीं उसका कोई भी फायदा राहुल को होने वाला है। जब तक पीएम मोदी जी का नेतृत्व है तब तक वहां वो कभी भी कुछ नहीं कर पाएंगे। बीजेपी और आरपीआई का गठबंधन ही वहां पर जीत दर्ज करेगा। राहुल गांधी चाहे वहां जितनी भी जाकर राजनीति कर लें, लेकिन उन्हें कुछ भी हासिल नहीं होगा।
वैसे अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर में पूजा-अर्चना कर राहुल गांधी अपने पिता राजीव गांधी की 26 साल पुरानी अधूरी इच्छा को भी पूरा करेंगे। दरअसल, राजीव गांधी 1990 में अयोध्या गए थे लेकिन व्यस्ततता के चलते हनुमानगढ़ी के दर्शन नहीं कर पाए थे। उसके अगले ही साल यानी 1991 में उनकी हत्या हो गई हालांकि 1992 में सोनिया गांधी ने हनुमानगढ़ी जाकर पूजा अर्चना की थी।
आपको बता दें अयोध्या ही वो जगह है जहां से राम मंदिर को मुद्दा बनाकर बीजेपी ने सफलता की कई सीढ़ियां चढ़ीं। बीते कुछ सालों से कांग्रेस की छवि धर्मनिरपेक्ष पार्टी के बजाय हिंदू विरोधी पार्टी के तौर पर बनने लगी थी। यूपी की सत्ता से 27 साल से दूर कांग्रेस अब अपनी इस छवि को तोड़ना चाहती है क्योंकि उसे पता है कि यूपी की गद्दी हिंदू वोटों को दरकिनार करके नहीं मिल सकती है।
कांग्रेस के रुख में आए इस बदलाव के पीछे चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर का दिमाग बताया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक प्रशांत किशोर की सलाह पर ही कांग्रेस उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण केंद्रित चुनाव अभियान चला रही है और इसी रणनीति के तहत कांग्रेस ने शीला दीक्षित को यूपी में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार भी बनाया है। साथ ही कांग्रेस की कोशिश ये भी है कि वो किसी तरह बीजेपी के मजबूत होते वोटबैंक को कमजोर करें।