आज विजया एकादशी के दिन भूलकर भी ना करें ये 11 काम, तो भगवान भी आपको नहीं बचा सकते
एकादशी तिथि भगवान विष्णु को अतिप्रिय है. मान्यता है कि जो भी एकादशी का व्रत करता है उसके समस्त पापों का नाश होता है और भगवान विष्णु की कृपा से उसकी सारी मनोकामना पूरी होती है. हर महीने दो बार एकादशी का व्रत पड़ता है, लेकिन फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी बेहद खास मानी जाती है. इसे विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है|फाल्गुन मास की कृष्ण एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है. जो कि इस बार यह 2 मार्च यानी आज मनाई जाएगी. मान्यता है कि इस एकादशी के व्रत से व्रती को हर कार्य में सफलता प्राप्त तो प्राप्त होती ही है साथ ही व्रती को पूर्वजन्म से लेकर इस जन्म के पापों से छुटकारा मिलता है. यानि जैसा इस एकादशी का नाम है वैसा ही फल प्राप्त होता है.
विजया एकादशी का महत्व
पद्म पुराण के एकादशी व्रत की विधि और कथाओं का वर्णन किया गया है. इस पुराण में बताया गया है कि फाल्गुन मास की कृष्णपक्ष की एकादशी बहुत ही पुण्यदायी है इसका नाम विजया एकादशी है. इस एकादशी का व्रत बहुत कठिन माना जाता है क्योंकि यह व्रत एक दिन के लिए नहीं बल्कि दो दिन यानी 48 घंटों के लिए रखा जाता है.
कहा जाता है कि रावण के साथ युद्ध करने से पहले स्वंय भगवान श्री राम ने अपनी सेना के साथ विजया एकादशी का व्रत किया था और उन्होंने लंका पर विजय हासिल की थी. इस बार यह एकादशी 2 मार्च को पड़ रही है|कहा जाता है कि इस व्रत को रखने वाला व्यक्ति जिंदगी में कभी भी विषम परिस्थितियों के आगे हार नहीं मानता है. विजया एकादशी का व्रत करने वाला व्यक्ति सदा विजयी रहता है. प्राचीन काल में कई राजा-महाराजा इस व्रत के प्रभाव से अपनी निश्चित हार को भी जीत में तब्दील कर चुके हैं. चलिए जानते हैं इस व्रत का महत्व और पूजा की विधि.
गौरतलब है कि इस व्रत का जिक्र पद्म पुराण और स्कंद पुराण में भी मिलता है. मान्यता है कि जब कोई अपने शत्रुओं के बीच घिरा होता है या फिर किसी विकट परिस्थिति में फंसा होता है तो इस व्रत को करने मात्र से व्यक्ति को विजय प्राप्त होती है|इसके साथ ही आपको बता दे इस विजया एकादशी को ग्यारस भी कहा जाता है और , मान्यता है की इस दिन भूलकर भी 11 ऐसे काम है जिन्हें करने पर मिलने वाले दंड से इंसान क्या स्वयं भगवान भी नहीं बचा पायेंगे ।
विजया एकादशी पर ना करें ये काम वरना हो सकता है अनर्थ
1.आज एकदशी के दिन पान का सेवन ना करें
2. यदि जल का सेवन करते हैं तो अन्न कदापि न ग्रहण करें। फलाहार रहें। बालक, वृद्ध और रोगी व्रत न रहें।
3. दातून ना करें,4. घर में चावल न बनाएं। 5. किसी भी प्रकार की हिंसा मत करें। 6. मन, वचन और कर्म से किसी को दुख न दें।
7. आज अपनी एक बुराई को त्याग करने का दृढ़ संकल्प लें। 8. यदि आप कोई भी नशा करते हों तो आज उसे पूर्णतया त्याग का संकल्प लें।
9. एकादशी पर स्त्रीसंग करना भी वर्जित है क्योंकि इससे भी मन में विकार उत्पन्न होता है और ध्यान भगवान भक्ति में नहीं लगता 10.किसी भी गरीब व्यक्ति को दरवाजे से भूखा ना जाने दें। 11. असत्य न बोलें|