अजब-गजब

आज से पहले नहीं देखा होगा हेमा मालिनी का ऐसा दिव्य रूप, गंगा अवतार में दिखीं ड्रीम गर्ल

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पहली बार मनाए जा रहे प्रवासी भारतीय सम्मेलन के दौरान काशी में कई सारे बदलाव देखने को मिले जो ना सिर्फ काशीवासियों के हृदय को छु गए बल्कि इस सम्मेलन में आने वाले सभी प्रविसियों को भी काफी आकर्षित किए। बता दें की अपने आवभगत से बेहद प्रसन्न प्रवासियों के लिए कई तरह की व्यवस्था की गयी थी और इसी सिलसिले में बॉलीवुड की ड्रीम गर्ल के नाम से मशहूर अभिनेत्री हेमा मालिनी ने भी यहाँ पर अपनी एक प्रस्तुति दे कर सभी को एकदम अवीभूत कर दिया।

बता दें की हेमा मालिनी जो ना सिर्फ एक अभिनेत्री हैं बल्कि एक कुशल नरतिकी भी है ने जैसे ही मंच पर प्रवेश किया लोगों के मुह से बरबस ही निकाल पड़ा, अद्भुत, अकल्पनीय और अविश्वसनीय। बता दें की मंच पर हेमा मालिनी को गंगा के स्वरूप में देखकर दर्शक भी आश्चर्य से भर उठे। शुरू से लेकर अंत तक तकनीक की भव्यता से गंगावतरण की प्रस्तुति ने हर किसी को बांधे रखा। मंगलवार की शाम को लालपुर मिनी स्टेडियम का प्रांगण गंगावतरण की मनमोहक प्रस्तुति का गवाह बना।

ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी की प्रस्तुति की जतनी तारीफ की जाए वो कम ही है और आपको बता दें की मंच पर जैसे ही परदा खुलता है और क्षीर सागर में भगवान विष्णु अपने भक्त भगीरथ की पुकार सुनकर एकदम से विह्वल हो जाते हैं और माँ गंगा को धरती पर जाने का आदेश देते हैं और उसके बाद जैसे मंच पर गंगा के रूप में हेमा मालिनी का आगमन बस देखते ही बंता है और ये वो पल था जब दर्शकों में एक अलग सा ही उत्साह दिख रहा था, और सभी ने हेमा मालिनी का जबर्दस्त तरीके से स्वागत भी किया।

वेगवती गंगा अपने संपूर्ण तेज और आवेग के साथ धरती की ओर बढ़ती हैं। उनके वेग से संपूर्ण ब्रहांड पर प्रलय की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। भगवान शिव सृष्टि की रक्षा के लिए गंगा को अपनी जटाओं में बांध लेते हैं। ब्रह्मा की विनती पर भगवान शिव गंगा को जटाओं से मुक्त करते हैं। इसके बाद वह भगीरथ के पुरखों को तारते हुए आगे बढ़ती हैं। समय के चक्र के साथ सतयुग, त्रेता और द्वापर के बाद कलयुग में गंगा की दयनीय दशा का मंचन बेहद मार्मिक रहा।

बताते चलें की उस वक़्त फिर ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है कि गंगा धरती को छोड़कर जाने लगती हैं मगर भक्तों की पुकार सुनकर वो दुबारा से रुक जाती हैं। मगर इसके साथ ही वो कलयुग को श्राप देते हुए कहती हैं कि मैं फिर से निर्मल होकर कलकल बहूंगी। नृत्य नाटिका का निर्माण और परिकल्पना हेमामालिनी, संगीत पद्यश्री रवींद्र जैन, अशित देसाई, आलाप देसाई, कोरियोग्राफी नीता लूला, गायन सुरेश वाडेकर, कविता कृष्णमूर्ति, शंकर महादेवन, मिका सिंह, रेखा राय, हेमा देसाईं और आलाप देसाई का रहा। इस पूरी प्रस्तुति का इतना सुंदर मंचन किया गया था जिसकी जितनी तारीफ किया जाए वो कम था, वहाँ मौजूद हर दर्शक इस पूरे कार्यक्रम को देखकर एकदम मंत्रमुक्ध हो गया था।

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