जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में हुए टेररिस्ट अटैक के बाद सोमवार को सुरक्षाबलों के साथ आतंकवादियों की मुठभेड़ में एक मेजर समेत 4 जवान शहीद हो गए। एक स्थानीय नागरिक की भी मौत हो गई है। पुलवामा के पिंगलिना क्षेत्र में दो से तीन आतंकी छिपे होने की आशंका है। सुरक्षाबलों ने पूरे क्षेत्र को हर तरफ से घेर लिया है।
- पुलवामा में आतंकवादियों और सुरक्षाबलों के बीच शुरू हुई मुठभेड़, 4 जवान शहीद
- शहीदों में एक मेजर भी शामिल, एक स्थानीय नागरिक की मौत, एक जवान घायल
- आतंकवादियों और सुरक्षाबलों के बीच जमकर हो रही है गोलाबारी, हर तरफ से की गई आतंकियों की घेराबंदी
- पुलवामा अटैक के बाद ऐक्शन में हैं सेना के जवान, अलगाववादियों से भी वापस ली गई सुरक्षा
पुलवामा : जम्मू कश्मीर के पुलवामा में देश ने 4 और सैनिकों को खो दिया है। सीआरपीएफ के 40 जवानों की शहादत के बाद सुरक्षाबल पुलवामा में आतंकियों के सफाए के लिए जबर्दस्त ऑपरेशन छेड़े हुए हैं। पुलवामा के पिंगलिना में खबर मिलने पर सुरक्षाबलों ने आतंकवादियों को घेरा। देर रात से सोमवार तड़के तक चली मुठभेड़ में 55 राष्ट्रीय राइफल्स के मेजर समेत चार जवान शहीद हो गए। मुठभेड़ के दौरान एक आम नागरिक की भी मौत हो गई। खबर लिखे जाने तक मुठभेड़ जारी है। ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक जैश-ए-मोहम्मद के दो से तीन आतंकवादी वहां छिपे हुए हैं जिनमें उसका एक कमांडर भी है।
जानकारी के मुताबिक सुरक्षाबलों को पुलवामा के पिंगलिना इलाके में दो से तीन आतंकियों के छिपे होने की जानकारी मिली थी। 55 राष्ट्रीय राइफल्स ने इसके बाद ऑपरेशन शुरू कर दिया। देर रात करीब 12 बजे से सुरक्षाबलों और आतंकियों में मुठभेड़ शुरू हुई, जो सुबह तक चलती रही। इसमें मेजर समेत चार जवान गंभीर रूप से घायल हो गए। बाद में चारों जवानों ने दम तोड़ दिया।
शहीदों में मेजर डीएस डॉन्डियाल, हेड कॉन्स्टेबल सेवराम, सिपाही अजय कुमार और सिपाही हरि सिंह थे। वहीं सिपाही गुलजार अहमद घायल हो गए हैं। सभी शहीद जवान 55 राष्ट्रीय राइफल्स के थे। एक स्थानीय नागरिक की भी मौत हुई। इस बीच सिक्यॉरिटी फोर्सेज ने आसपास के इलाके को हर तरफ से घेर लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलवामा में इंटरनेट बंद कर दिया गया है।
अलगाववादियों से वापस ली गई सुरक्षा
बता दें कि इससे पहले 14 फरवरी यानी गुरुवार को पुलवामा जिले में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले को लेकर देश में आक्रोश है। इस हमले में सीआरपीएफ के चालीस जवान शहीद हो गए थे। शहादत से देशभर में पैदा हुए आक्रोश को देखते हुए सरकार ने अलगाववादी नेताओं को मिली सुरक्षा वापस ले ली है, जिनमें ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (APHC) के चेयरमैन मीरवाइज उमर फारूक, शब्बीर शाह, हाशिम कुरैशी, बिलाल लोन, फजल हक कुरैशी और अब्दुल गनी बट शामिल हैं। अधिकारियों ने रविवार को बताया कि इन 6 नेताओं और दूसरे अलगाववादियों को किसी भी तरह से सुरक्षा कवर नहीं दिया जाएगा।
रविवार शाम ही सुरक्षा और गाड़ियां हटा ली गईं
ऑर्डर के मुताबिक रविवार शाम से ही अलगाववादियों को मिली सभी सुरक्षा और गाड़ियों को हटा लिया गया। किसी भी प्रकार से इन छह या किसी दूसरे अलगाववादियों को कोई कवर या सुरक्षा बल उपलब्ध नहीं कराए जाएंगे। अगर उन्हें सरकार के द्वारा कोई दूसरी सुविधाएं मिल रही हैं तो वे भी तत्काल हटा ली जाएंगी।