एजेंसी/नई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में चीन का भारत के साथ हाथ मिलाने का अपना असर होगा। उनका यह बयान मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित किये जाने के भारत के प्रयास को बीजिंग द्वारा हाल ही में बाधित करने की पृष्ठभूमि में आया है।
चीन ने इस साल मार्च में 2001 के संसद हमले और 2016 के पठानकोट आतंकी हमलों के षड्यंत्रकारी जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख अजहर को संयुक्त राष्ट्र में वैश्विक आतंकवादियों की सूची में रखने के भारत के प्रयास को बाधित किया था। राष्ट्रपति ने कहा कि दोनों देशों का एक व्यापक रिश्ता है और भारत चीन के साथ रिश्तों को महत्वपूर्ण समझता है।
उन्होंने कहा, ‘मैं कहूंगा कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के साथ हमारा बहुत व्यापक संबंध है। और हम इसे हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण रिश्ता समझते हैं।’ राष्ट्रपति के इंटरव्यू के अंश आज प्रसारित किये गये, जिसमें उन्होंने कहा, ‘राजकीय यात्रा का अपना महत्व है क्योंकि यह नेताओं को उनके विचारों को साझा करने का, संबंधित देशों के बीच सहयोग के विस्तार की संभावनाएं तलाशने का अवसर प्रदान करती है और वे क्षेत्रीय, वैश्विक एवं बहुपक्षीय मुद्दों पर अपने विचारों का आदान-प्रदान भी करते हैं।’
चीन ने अजहर पर पाबंदी लगाने पर विचार कर रही संयुक्त राष्ट्र की एक समिति से मार्च महीने में अजहर को वैश्विक आतंकवादी करने के प्रस्ताव पर रोक लगाने का आग्रह किया था। भारत ने समिति से कहा था कि अजहर को सूचीबद्ध नहीं करने से भारत और दक्षिण एशिया के अन्य देशों को आतंकवादी समूह और उसके नेता से खतरा होगा।
संयुक्त राष्ट्र ने 2001 में जैश-ए-मोहम्मद पर रोक लगाई थी लेकिन मुंबई आतंकी हमले के बाद अजहर को प्रतिबंधित करने के भारत के प्रयास सफल नहीं हुए चूंकि संयुक्त राष्ट्र में वीटो अधिकार रखने वाले पांच स्थाई सदस्यों में से एक चीन ने वस्तुत: पाकिस्तान के कहने पर प्रतिबंध नहीं लगने दिया। अमेरिका के विदेश वित्त विभाग ने अजहर को नवंबर 2010 में विशेष तौर पर घोषित वैश्विक आतंकवादी कहा था।