तजाकिस्तान की राजधानी दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि मौजूदा वक्त में आतंकवाद विकास और समृद्धि के लिए बड़ा खतरा बना हुआ है, जिसके खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की जरूरत है। सुषमा ने आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान समेत एससीओ के सदस्य देशों से अपनी राष्ट्रीय जिम्मेदारी समझने और एक दूसरे के साथ सहयोग करने की गुजारिश की। यही नहीं उन्होंने 50 अरब डॉलर के चीन पाक आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के संदर्भ में साफ तौर पर कहा कि संपर्क की सभी पहल संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान, आपसी बातचीत और स्थिरता के सिद्धांत पर होनी चाहिए। गौर करने वाली बात है कि भारत ने सीपीईसी परियोजनाओं का विरोध किया है क्योंकि यह पाक अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है।
सरकारें समझें अपनी जिम्मेदारी
सुषमा ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी की मौजूदगी में ही आतंकवाद के मसले पर सदस्य देशों को नसीहत दी। उन्होंने कहा कि चूंकि आतंकवाद तेजी से पैर पसार रहा है ऐसे में सरकारों को भी अपनी राष्ट्रीय जिम्मेदारी समझनी चाहिए और इस मसले पर एक दूसरे के साथ सहयोग करना चाहिए।
वैश्विक चुनौतियों से निपटने को लेकर एकजुट होने की गुजारिश करते हुए भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि हम सब को वैश्वीकरण से लाभ हुआ है। हमें अपना व्यापार और निवेश सहयोग आगे बढ़ाना चाहिए। भारत खुला, स्थाई अंतरराष्ट्रीय व्यापार तंत्र का समर्थन करता है जो विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की केंद्रीयता पर आधारित हो। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट करके बताया कि स्वराज ने यहां एससीओ शासनाध्यक्षों की परिषद की सीमित प्रारूप वाली बैठक को संबोधित करते हुए आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एकजुट होने की जरूरत बताई। उन्होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने, संपर्क और क्षेत्रीय शांति का प्रचार प्रसार करने का भी आग्रह किया।
अफगानिस्तान की अगुवाई में शांति प्रक्रिया की हिमायत
सुषमा ने कहा कि भारत उस शांति प्रक्रिया का पक्षधर है जो अफगानिस्तान की अगुवाई में और अफगानिस्तान नियंत्रित हो। यह ऐसी होनी चाहिए जो अफगानिस्तान को शांतिपूर्ण, सुरक्षित, स्थाई, समग्र और आर्थिक रूप से जीवंत देश के तौर पर सामने लाए।
कट्टरपंथ में धकेलने के खिलाफ अपील को समर्थन
सुषमा ने ‘एससीओ शांति मिशन 2018’ के सफलता पूर्वक संपन्न होने के लिए सहयोगियों को बधाई दी। उन्होंने बताया कि भारत ने क्विंगदाओ में एससीओ सम्मेलन में शामिल नेताओं की युवाओं को कट्टरपंथ में धकेलने के खिलाफ अपील का खुलकर समर्थन किया है।
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग बढ़ाने पर हो रही बात
ऐसा पहली बार है जब भारत ने इन आतंकवाद विरोधी अभ्यासों में हिस्सा लिया है। जून 2017 में भारत एससीओ का पूर्णकालिक सदस्य बना था जिसके बाद यह सीएचजी की दूसरी बैठक है। सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग बढ़ाने के साथ ही क्षेत्रीय एवं वैश्विक मसलों पर विचार विमर्श हो रहा है।
तजाकिस्तान के राष्ट्रपति से मुलाकात की
स्वराज एससीओ के शासनाध्यक्षों की परिषद (सीएचजी) के दो दिवसीय सम्मेलन में शामिल होने के लिए दुशांबे आई हैं। उन्होंने अन्य एससीओ देशों के प्रतिनिधि प्रमुखों सहित ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमोन से मुलाकात भी की।