स्वास्थ्य

आदिवासी मानते हैं सबसे जल्दी घाव भरने वाली यह दवा

untitled-। इसकी पत्तियों मे क्लोरोफिल का अभाव होता है। जिस वजह से यह पीले रंग की दिखाई देती है। इसके अनेक औषधीय गुण भी है। अमरबेल का वानस्पतिक नाम कस्कूटा रिफ़्लेक्सा है। आदिवासी अंचलों में अमरबेल को अनेक हर्बल नुस्खों के तौर पर उपयोग में लाया जाता है, चलिए जानते हैं आज अमरबेल से जुडे हर्बल नुस्खों और आदिवासी जानकारियों को..1. पूरे पौधे का काढ़ा घाव धोने के लिए बेहतर है और यह टिंक्चर की तरह काम करता है। आदिवासियों के अनुसार यह काढा घावों पर लगाया जाए तो यह घाव को पकने नहीं देता है।2. अमरबेल को कुचलकर इसमें शहद और घी मिलाकर पुराने घावों पर लगाया जाए तो घाव जल्दी भरने लगता है। यह मिश्रण एंटीसेप्टिक की तरह काम करता है।कैसे पहचानअमरबेल बिना जड़ का पीले रंग का परजीवी पौधा है। यह पेड़ों के ऊपर अपने आप उग आता है। बिना जड़ के पौधों पर ऊपर की ओर चढ़ता है। इसमें गुच्छों में सफेद फूल लगे होते हैं।अमरबेल के संदर्भ में रोचक जानकारियों और परंपरागत हर्बल ज्ञान का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डाँग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहें हैं।

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