नयी दिल्ली (एजेंसी) : देश में लोगों व कंपनियों पर 11.50 लाख करोड़ रुपये का भारी भरकम कर बकाया है। यानी देश के सालाना बजट की 47 फीसद से अधिक राशि बकाया कर के रूप में फंसी है और यह लगातार बढ़ रही है। संसद की एक समिति ने इन हालात पर चिंता जताते हुए सरकार से कहा है कि वह इस बकाये कर की जल्द वसूली के लिए उपाय करे क्योंकि ऐसा लगता है कि राजस्व विभाग बकाया कर के दुष्चक्र में फंसता जा रहा है। वित्त संबंधी स्थायी समिति की ताजा रपट के अनुसार इस समय 11.50 लाख करोड़ रुपये का कर बकाया है, जो कि किसी अर्थव्यवस्था के आकार के बराबर की राशि है। उल्लेखनीय है कि 2018-19 के लिये देश का कुल बजट 24.42 लाख करोड़ रुपये का है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बकाया कर के मद में कितनी बड़ी राशि फंसी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार कुल बकाया कर में 9,30,741 करोड़ रुपये प्रत्यक्ष कर मद में तथा 2,28,530 करोड़ रुपये अप्रत्यक्ष कर मद में बकाया हैं।
डा. एम. वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली इस समिति ने हालात पर चिंता जताते हुये सरकार को सलाह दी है कि बकाये कर की वसूली के लिए कोई ठोस कार्ययोजना बनाई जाए तथा समयबद्ध वसूली की रूपरेखा तैयार हो। बकाये कर की राशि हर साल बढ़ रही है जिसे देखते हुए समिति ने न्यायाधिकरणों व अदालतों में इससे जुड़े मामलों की त्वरित सुनवाई व निपटान सुनिश्चित करने की भी सलाह दी है। समिति के अनुसार इससे भी बड़ी चिंता की बात यह है कि इसमें से ज्यादातर कर की वसूली होती नजर नहीं आ रही। आंकड़ों में प्रत्यक्ष कर मद में 94 प्रतिशत से अधिक कर की वसूली मुश्किल वाली श्रेणी में रखी गई है। वहीं अप्रत्यक्ष कर में केवल 22.84 प्रतिशत के बारे में ही स्पष्ट रूप से कहा गया है कि उसकी वसूली की जा सकती है। संसद की वित्त संबंधी स्थायी समिति में लोकसभा के 21 और राज्य सभा के 10 सदस्य शामिल है जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, किरीट सोमैया, राजीव प्रताप रूडी, भृतहरि माहताब, दिनेश त्रिवेदी आदि शामिल हैं। समिति ने मौजूदा वित्त वर्ष में जनवरी 2018 तक प्रत्यक्ष कर मद में 1.26 लाख करोड़ रुपये के रिफंड पर भी हैरानी जताई है जिसमें 10,312 करोड़ रुपये का ब्याज शामिल है। अपनी रिपोर्ट में समिति ने सवाल उठाया है कि कहीं विभाग अपने राजस्व लक्ष्यों को पूरा करने के लिए करदाताओं से अधिशेष अग्रिम कर तो नहीं ले रहा जो बाद में उसको रिफंड करना पड़ता है। समिति ने इस मामले में भी सुधारात्मक कदम उठाने को कहा है।
प्रत्यक्ष करों की मद में बकाया की वसूली नहीं हो पाने के लिये सरकार की तरफ से कई कारण गिनाये गये हैं। इनमें करदाता का पता नहीं लग पाना, वसूली के लिये कोई संपत्ति नहीं होना अथवा अपर्याप्त संपत्ति होना, कर मांग पर अदालत, आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण, आयकर प्राधिकरण का स्थगन आदेश, कंपनी का परिसमापन प्रक्रिया में होना आदि कई कारण बताये गये हैं। बकाये की वसूली के लिये कई तरह के कदम उठाये गये हैं इनमें बैंक खातों को जब्त करने, चल, अचल संपत्ति की बिक्री, नीलामी करना तथा रिकवरी सर्वे और जानबूझकर कर नहीं चुकाने पर अभियोजन की कारवाई शुरू की गई है।