जीवनशैली

आपकी जींस की पॉकेट पर लगे छोटे बटन का क्या है राज?

jean_10एजेंसी/ नई दिल्ली: आजकल की लाइफस्टाइल में जींस पहनना अलग ही कम्फर्ट का अहसास देता है,जींस की जेब लगे छोटे बटन आकर्षित तो करते ही हैं लेकिन आपको पता है इसे लगाने का एक खास मकसद है। चाहे आप टाइट फिट जींस पहनें या लूज फिट या क्लासिक लेकिन जींस आज के युवाओं की पहली पसंद है। दुनिया में बहुत कुछ बदला लेकिन अगर कुछ नहीं बदला तो जींस का स्टाइल। पिछले तमाम सालों से जींस का बेसिक स्टाइल बिल्कुल नहीं बदला है।

रोजाना लोग जींस तो पहनते हैं लेकिन वे जींस की जेब में मौजूद छोटे बटन की मौजूदगी का कारण नहीं समझ पाते हैं। जेब के दोनों साइड पर मौजूद इन छोटे बटनों का भी एक इतिहास है।बताया जाता है कि कई दशकों पहले अमेरिका में जींस पहनने की शुरुआत हुई थी।

यहां के मिलों, फैक्ट्रियों, खदानों में काम करने वाले मजदूर जींस पहना करते थे। जब ये मजदूर जींस पहनकर काम करते थे तो ज्‍यादा मेहनत करने की वजह से उनकी जेबें फट या उनकी सिलाई खुल जाया करती थीं।मजदूरों की इसी समस्‍या के चलते अमेरिका में रहने वाले एक दर्जी जैकब डेविस के मन में ख्‍याल आया कि अगर जेबों के दोनों ओर छोटे बटन लगा दिए जाएं तो उन्‍हें फटने से रोका जा सकता है।

जैकब डेविस ने पॉकेट की सिलाई को बनाए रखने के लिए उसे रिवेट्स से अटैच करने की सोची। ये पॉकेट के आखिरी हिस्सों को टाइट रखता है, जिससे पॉकेट सही जगह पर रहती है। रिवेट्स के चलते सिलाई उधड़ती नहीं थी।जैकब जींस निर्माता कंपनी लेवी स्‍ट्रॉस के ग्राहक भी थे। जींस की जेबों में बटन लगाने के बाद साल 1870 में जैकब ने इसे पेटेंट कराने का प्रयास किया।

पेटेंट कराने के लिए लगने वाली बड़ी राशि न होने की वजह से उन्‍होंने लेवी कंपनी से तीन साल बाद एक डील कर ली। 20 मई, 1873 को हुई इस डील के अंतर्गत लेवी कंपनी ने पेटेंट के सारे रुपये भरे और खुद के नाम पर पेटेंट करवा लिया।कहा जाता है कि 1890 में पेटेंट पब्लिक हो गया और इसे कोई भी इस्तेमाल कर सकता था।

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