नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने प्रमुख 10 सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को किसी भी व्यक्ति या संस्थान के कंप्यूटर के डेटा को जांचने का अधिकार दिया है। ऐसा करने के पीछे की वजह देश की सुरक्षा बताई जा रही है। गृह मंत्रालय की ओर जारी आदेश के मुताबिक, देश की ये प्रमुख सुरक्षा एजेंसियां किसी भी व्यक्ति के कंप्यूटर में जेनरेट, ट्रांसमिट, रिसीव और स्टोर किए गए किसी दस्तावेज भी को देख सकती हैं। खुफिया एजेंसियों को यह अधिकार सूचना और प्रौद्योगिकी (आइटी) एक्ट की धारा-69 के तहत दिया गया है। आइटी की धारा-69 में कहा गया है कि यदि एजेंसियों को किसी संस्थान या व्यक्ति पर देशविरोधी गतिविधियों में शामिल होने का शक होता है तो वे उनके कंप्यूटर की जांच कर सकती हैं। इस बारे में गृह मंत्रालय द्वारा सभी एजेंसियों को आदेश जारी किया जा चुका है।
गृह सचिव राजीव गाबा की ओर से जारी एक आदेश में कहा गया कि सूचना एवं तकनीकी नियमों के मुताबिक खुफिया एजेंसियों को जांचने का अधिकार है। हाल के दिनों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें दुश्मन देश हनीट्रैप के जरिए सेना के अधिकारियों और संवेदनशील पदों पर बैठे अधिकारियों से खुफिया जानकारी हासिल करते पाए गए। देश के कई इलाकों से पाकिस्तान को खुफिया जानकारी देते हुए ऐसे कई लोग पकड़े भी गए हैं। हालांकि केंद्र सरकार के इस फैसले पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलीमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। ओवैसी ने ट्वीट कर कहा है, केंद्र सरकार ने महज एक सामान्य से सरकारी आदेश के जरिए देश में सभी कंप्यूटर की जासूसी का आदेश दे दिया है। 1984 में आपका स्वागत है। गृह मंत्रालय के आदेश के मुताबिक इन 10 खुफिया एजेंसियों को आपके कंप्यूटर को जांचने का अधिकार दिया गया है-
इंटेलिजेंस ब्यूरो
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो
प्रवर्तन निदेशालय
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स
डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस
सीबीआइ
एनआइए
कैबिनेट सेक्रेटेरिएट (रॉ)
डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस
दिल्ली के कमिश्नर ऑफ पुलिस