आपके पास हे ऐसा 2 रूपए का सिक्का तो आप भी बन सकते हे लखपति , जानिए कैसे
आप अगर आज के दस बीस साल पीछे देखेंगे तो आप को अक्सर बच्चों के हाथ में एक और दो रूपए के सिक्के मिल जायेंगे. बहुत सारे बच्चों को जेब खर्च के रूप में यही एक दो रूपए के सिक्के मिलते थे. अब अगर आज के समय में देखेंगे तो आप को शयद ही कही ये एक या दो रुपये के सिक्के नजर आएंगे. एक दो रुपये से खलते हुए बच्चे तो मिल सकते है लेकिन वो एक और दो रुए वाले सिक्के नहीं मिलेगे. वो सिक्के आज के सिक्कों के मुकाबले कुछ लगा ही हुआ करते थे. अगर उन सिक्कों के बारे में बताया जाए खास कर दो रुपये के सिक्के के बारे में तो इस सिक्के में एक तरफ अशोक चिन्ह हुआ करता था और दुसरी तरफ फरत का नक्सा हुआ करता था उसे राज्यों कि सीमाएं उभरी हुई होती थी. निचे की तरफ साल का नाम और एक छोटा सा बिंदु होता था. आज के समय में बचपन की तरह वो सिक्का भी खो चूका है.
आज के समय के हिसाब से अगर देख्नेग तो बहुत छोटे बच्चे को ख़ुशी के सिवा दो रुपये कि कुछ खास कीमत नहीं रही. बच्चे भी अब एक दो नहीं बल्कि कम से कम दस बीस रुपये से बहलने लगे है. दौर तो ऐसा है कि बच्चे की क्या कई बार अगर आप भिखारी को भी एक या दो रुपये देते है तो आप को वापस कर देता है. कई बार तो भिखरी आप को कुछ सुना भी देता है. ऐसे में हम अगर आप से कहे कि वही दो रुपये का पुराना सिक्का आप को आज के समय में भी लखपति बना सकता है. आप कहेंगे ये मजाक क्यों लेकिन ये मजाक नहीं है ये सच है. अगर आप के पास ये सिक्का है और आप कि किस्मत ने थोडा साथ दिया तो आप को टीम लाख रूपए का लाभ हो सकता है मात्र इस दो दुपाये के सिक्के से.
अब आप भी इस बात को भी ये जानने में जरुर दिलचस्पी होगी कि कैसे. हम अप को बता दें रहे है कि आप एक पोर्टल की मदद से विन्टेज सिक्का बेंच सकते है और लाखों रुपये कम सकते है. इसके बारे में तब लोगों को अधिक पता चला जब आंध्र प्रदेश में सिक्कों का स्टॉल लगाने वाले एक कारोबारी के पास ऐसे ही कुछ सिक्कों का कलेक्शन था जिसे उसने लाखों रूपए में बेचा है.
ये व्यपारी आंध्र प्रदेश में बी चंद्रशेखर रोड के किनीरे ऐसे ही विंटेज सिक्कों की स्टॉल लगाते हैं. वह अपना यह स्टॉल वर्ल्ड तेलगु कॉन्फ्रेंस के सामने लगाते हैं. एक बार होने के दो रुपये का सिक्का तीन लाख रुपये में बेचा था. सबसे कहस बात उस सिक्के की यह थी कि उसे 1973 में मुंबई मिंट में ढाला गया था. मुंबई मिंट भारत की सबसे पुरानी मिंटों में से एक है. अंग्रेजों ने मुंबई मिंट का निर्माण किया था.