आपको भी नहीं आती नींद? कहीं ये वजह तो नहीं…
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क्या आप नींद संबंधी विकार से पीड़ित हैं? यह आनुवांशिक दोष है. शोधकर्ताओं ने यह खोज की है कि हमारे शरीर के कई भागों के आनुवांशिक कोड खराब नींद के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं. मेसाचुसेट्स जनरल अस्पताल और एक्सेटर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 47 ऐसी कड़ियों की पहचान की है, जो आनुवांशिक कोड और नींद के गुण और मात्रा से संबंधित हैं.
जीनोमिक क्षेत्रों में पीडीई11ए नामक जीन खोजा गया. समूह ने यह खोज निकाला कि असाधारण व भिन्न प्रकार का यह जीन न सिर्फ नींद के समय को प्रभावित करता है, बल्कि उसकी गुणवत्ता पर भी असर डालता है.
एक्सेटर विश्वविद्यालय के मुख्य लेखक सैमुएल जोन्स ने कहा कि यह अध्ययन नींद की विशेषता को प्रभावित करने वाली आनुवांशिक भिन्नताओं की पहचान करने के साथ मनुष्यों की नींद में आणविक भूमिका को जानने में नया दृष्टिकोण प्रदान करेगा. इस बात को आगे बढ़ाते हुए विश्वविद्यालय के ही एंड्र्यू वुड ने कहा कि नींद की गुणवत्ता व मात्रा और समय में बदलाव से मनुष्य कई तरह की बीमारियां- मधुमेह, मोटापा, मनोविकार वगैरह की गिरफ्त में आ जाते हैं.
जनरल नेचर कम्युनिकेशन में प्रकाशित शोध रिपोर्ट में अध्ययनकर्ताओं ने यूके बायोबैंक के करीब 85,670 और अन्य अध्ययनों से करीब 5,819 प्रतिभागियों के आकड़े एकत्रित किए थे. इन्होंने अपनी कलाइयों पर त्वरणमापक यंत्र बांध रखी थी, जो इनकी गतिविधियों के स्तर को लगातार रिकॉर्ड कर रहा था.
उन्होंने पाया कि आनुवांशिक क्षेत्रों के साथ तो नींद की गुणवत्ता का संबंध है ही इसके साथ ही यह खुशी और सुख जैसी भावनाओं को संचारित करने वाले सेरोटोनिन के उत्पादन से भी संबंधित है. सेरोटोनिन निंद्रा चक्र में भी मुख्य भूमिका अदा करता है और गहरी व आरामदायक नींद प्रदान करता है.