अद्धयात्म

आप भी ऐसे लिख सकते हैं खुद का भाग्य

दस्तक टाइम्स एजेन्सी/ phpThumb_generated_thumbnail (61)
हम उस परमात्मा की रचना हैं, जो पूरे ब्रह्मांड का नियंता है। हम उसके बच्चे हैं। वह सब कुछ अपने बच्चों के लिए करता है। हमारी कमी, कमजोरी, बीमारी, दुख, अशांति और मान, अपमान कहीं ना कहीं हमारे कर्मों से जुड़े होते हैं। जन्म-जन्मांतर में जो हमने किया, उसे भुगतना ही पड़ता है। परन्तु ईश्वर एक ऐसा मौका देता है जब हम अपने भाग्य को उसके सान्निध्य में लिख सकते हैं।
यह पूरे सृष्टि चक्र का सुनहरा अवसर होता है, जिसमें मनुष्य पुरुषों में उत्तम, मर्यादित और दैवीय मूल्यों वाला बनता है। यह थोड़े समय का अवसर परमात्मा देता है। जब मैं तरुण अवस्था में थी तब मुझे अध्यात्म और राजयोग का पथ चुनने का अवसर मिला। 
मैंने जब पहली बार इस दहलीज पर कदम रखा तो मुझे एहसास हो गया था कि यह साधारण पथ नहीं है। यह वही रास्ता है जिसमें हम अपने मन की इच्छाओं को पूर्ण कर सकते हैं। मैं खुद के साथ दूसरों का जीवन बनाने के मार्ग पर आगे बढ़ती गई, परमात्मा रास्ता बताते गए। 
मैं दुनिया के कई देशों में  घूमी और अध्यात्म और राजयोग को पुनस्र्थापित करने का प्रयास कर रही हूं। मैंने महसूस किया कि कोई भी ऐसा मुल्क नहीं जहां लोगों को नि:स्वार्थ प्यार और अध्यात्म नहीं चाहिए। सब प्यार और स्नेह के अभिलाषी हैं।
अध्यात्म ने तोड़ी भाषा की दीवार 
मुझे अंग्रेजी नहीं आती थी, परंतु प्यार और अध्यात्म की शक्ति की भाषा ने जाति-धर्म और भाषा भेद की दीवारों को तोड़ दिया। संकल्प से शुभभावना दी और वह शब्दों से भी ज्यादा शक्तिशाली साबित हुई। मुझे गर्व है कि दुनिया के 140 देशों में अध्यात्म और भारतीय संस्कृति का विस्तार हो रहा है। 
आध्यात्मिक जीवन ऐसा जीवन है जिसमें मनुष्य के पास सबकुछ उपलब्ध हो सकता है। बिना अध्यात्म मनुष्य का जीवन नीरस और सूखे पेड़ की भांति है। अध्यात्म की परिभाषा यूं तो हर कोई अपने-अपने तजुर्बे और अनुभव से देता है। 
वास्तविक अर्थों में यह आत्मा के बारे में अध्ययन करना, जानना और महसूस करना है। स्त्री-पुरुष दोनों ही आध्यात्मिक दृष्टिकोण से आत्मिक रूप में प्रतीत होने लगते हैं। खुद की तकदीर बनाने की ताकत परमात्मा ने हर इंसान को दी है। 
कोई भी व्यक्ति अध्यात्म और राजयोग से जीवन संवारने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। मुझे खुद के जीवन को बनाने की विधि व भाग्य लिखने की ताकत इससे मिली। जिन्दगी के सौ साल में कभी नहीं लगा कि जीवन कठिन व कुछ भी अप्राप्त है। 
दादी जानकी
(प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य प्रशासिका दादी जानकी ने हाल ही सौ वर्ष पूरे किए हैं। वे विश्वभर में अध्यात्म शक्ति एवं तपोबल से लोगों की जिंदगी में ऊर्जा का संचार कर रही हैं। )

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