नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी में संस्थापक सदस्यों योगेन्द्र यादव, प्रशांत भूषण और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच चिट्ठी बमों को चल रही खींचतान निर्णायक दौर में पहुंच गई है। दोनों गुटों ने आगामी चार मार्च को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की होने वाली निर्णायक बैठक में अपना पक्ष खुद रखने की तैयारी कर ली है। हालांकि मौजूदा घटनाक्रम के मद्देनजर पार्टी की दिल्ली इकाई के रुख को देखते हुए यादव और भूषण की पीएएसी से छुट्टी होना लगभग तय हो गया है। अपने ही घर में मौसम के इस बदले मिजाज को भांपते हुए यादव ने फेसबुक पर संदेश चस्पा कर अपने बचाव की भूमिका बना ली। उन्होंने कहा कि पार्टी में आंतरिक कलह से जुड़ी सभी खबरें काल्पनिक हैं। यह समय चुनावों में आप को मिली जीत के बाद काम करने का है न कि छोटी हरकतों में उलझने का।
क्या है प्रशांत भूषण का पक्ष-
प्रशांत भूषण ने पार्टी के मूलभूत आदर्शो का हवाला देकर कुछ अहम मुद्दे उठाए हैं। गत 26 फरवरी को लिखे पत्र में उन्होंने अनुशासन संहिता बनाने की मांग करते हुए पार्टी में एक व्यक्ति का वर्चस्व कायम होने का मुद्दा उठाया था। उन्होंने सीधे केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने दूसरे राज्यों में चुनाव लडम्ने के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के फैसले को पलट दिया। क्या यह स्वाराज के खिलाफ नहीं है। इसके अलावा उन्होंने आप कोआरटीआई के दायरे में लाने के बाद भी ना तो पार्टी के खातों की जानकारी सार्वजनिक की और ना ही चंदे के खर्च का ब्यौरा उजागर किया। इसके हवाले से उन्होंने लिखा कि पार्टी में जवाबदेही नहीं रही।