नई दिल्ली (एजेंसी)। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) की अल्पमत सरकार ने गुरुवार को दिल्ली विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर लिया। केजरीवाल ने शनिवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। कांग्रेस के आठों विधायकों ने पूर्व घोषणा पर कायम रहते हुए सरकार को समर्थन दिया। 7० सदस्यीय विधानसभा में 28 सीटों वाली आप को सरकार बचाने के लिए कांगे्रस का समर्थन जरूरी था। आप को 37 विधायकों का समर्थन मिला जबकि विरोध में 32 मत पड़े। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 31 और उसकी सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के एक विधायक ने सरकार के विरोध में मतदान किया। सरकार की तरफ से विश्वास मत पेश करते हुए दिल्ली के मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि उनकी पार्टी को राष्ट्रीय राजधानी में शासन करने का ‘नैतिक जनादेश’ हासिल है। विधानसभा में विश्वास मत पर हुई चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने अपना पक्ष रखा जिसके बाद हुए मत विभाजन में सरकार के पक्ष में खड़े हुए विधायकों की संख्या अधिक देख प्रोटेम विधानसभा अध्यक्ष मतीन अहमद ने सरकार को विश्वास मत हासिल होने की घोषणा की और सदन की कार्यवाही शुक्रवार दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले सरकार की तरफ से दिल्ली सरकार के मंत्री मनीष सिसोदिया ने सदन में विश्वास मत का प्रस्ताव पेश किया। सिसोदिया ने कहा कि आप के पास राष्ट्रीय राजधानी पर शासन करने का ‘नैतिक जनादेश’ हासिल है। उन्होंने कहा ‘‘हम सरकार बनाने की जिम्मेदारी का निर्वाह कर रहे हैं लेकिन हमारे पास 28 सीटें ही हैं जिससे हम कश्मकश की स्थिति का सामना कर रहे हैं।’’ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता डॉ. हर्षवद्र्धन ने विश्वास मत का विरोध करते हुए आप से यह बताने के लिए कहा कि आखिर वह कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने के लिए क्यों मजबूर हुई। विधानसभा चुनाव में भाजपा के मुख्यमंत्री पद प्रत्याशी रह चुके हर्षवद्र्धन ने कहा ‘‘जब उनकी (अरविंद केजरीवाल) पार्टी उभरी तो देश की जनता में एक नई उम्मीद जगी। यद्यपि उनकी पार्टी अन्ना हजारे के आंदोलन के कारण उदित हुई फिर भी अन्ना ने राजनीति से किनारा करने का फैसला लिया।’’ उन्होंने कहा ‘‘चुनाव परिणाम आने के बाद अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि वे न तो किसी से समर्थन लेंगे और न ही देंगे। मैं जानना चाहता हूं कि किस बात ने उन्हें उस कांग्रेस का समर्थन लेने के लिए मजबूर किया है जिसे चुनाव में जनता ने धूल चटा दिया है।’’
दिल्ली सरकार के मंत्री मनीष सिसोदिया के भाषण का जिक्र करते हुए भाजपा नेता ने कहा ‘‘आखिर क्यों वे (आप) लोगों के जनादेश के विपरीत जाकर कांग्रेस का समर्थन ले रहे हैं।’’ सिसोदिया ने कहा था कि विधानसभा दिल्ली की जनता की प्रतिनिधिसभा है। हर्षवद्र्ध ने कहा ‘‘15 वर्षों के कांग्रेस के शासनकाल में कई घोटाले हुए। हमारी पार्टी उन्हें उजागर करती रही है। मैंने सुना है केजरीवाल ने कहा है कि यदि हर्षवद्र्धन के पास कोई सबूत है तो मुझे दिखाएं। मैं मुख्यमंत्री से पूछना चाहता हूं कि तब वे यह दावा क्यों करते रहे हैं कि वे कांग्रेस के भ्रष्ट लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।’’ बाहरी समर्थन देने वाली कांग्रेस ने गुरुवार को आप सरकार को हड़बड़ी में ऐसे फैसले न लेने की चेतावनी दी जिससे राष्ट्रीय राजधानी के निवासियों का ‘नुकसान’ हो। कांग्रेस विधायक अरविंदर सिंह लवली ने दिल्ली विधानसभा में विश्वास मत पर चर्चा के दौरान कहा ‘‘पार्टी जल्दबाजी में वैसे फैसले लेना बंद करे जिससे अंतत: दिल्ली के लोगों को नुकसान होगा। इस तरह के फैसले से विकास के मुद्दे रुक जाएंगे।’’ दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष लवली का इशारा आप की हर परिवार को प्रतिदिन 666 लीटर पानी मुफ्त मुहैया कराने और 4०० यूनिट तक खपत करने वाले उपभोक्ताओं के बिजली बिल में 5० प्रतिशत रियायत देने की घोषणा की तरफ था।
विश्वास मत जीतने के बाद केजरीवाल ने मीडिया से कहा ‘‘यह दिल्ली की जनता की जीत है। यह ईमानदारी और सच्चाई की विजय है।’’ भ्रष्टाचार के उन्मूलन के बारे में अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए केजरीवाल ने विश्वास व्यक्त किया कि एक दिन पूरा देश वैसी राजनीति का गवाह बनेगा जैसी राजनीति आप ने दिल्ली में शुरू की है। आयकर विभाग के पूर्व अधिकारी केजरीवाल सामाजिक कार्यकर्ता रहे और एक वर्ष पूर्व उन्होंने पार्टी का गठन किया। केजरीवाल ने छह मंत्रियों के साथ 28 दिसंबर को उसी रामलीला मैदान में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली थी जिसमें अन्ना हजारे के 13 दिन के अनशन में जन सैलाब उमड़ पड़ा था और समूचे देश में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चर्चा छिड़ गई थी।