आमलकी एकादशी: इसी दिन हुई थी आंवले के पेड़ की उत्पत्ति, जानिए पूरी कथा
शास्त्रों में आमलकी एकादशी के महत्व को बताया गया है। मान्यता के अनुसार सृष्टि के आरंभ में आंवले के वृक्ष की उत्पत्ति हुई थी। कथा के अनुसार विष्णु जी की नाभि से उत्पन्न होने के बाद ब्रह्रा जी के मन में सवाल आया कि मेरी उत्पत्ति कैसे हुई। इस प्रश्न के जवाब में ब्रह्राजी तपस्या करने लगे। तब भगवान विष्णु प्रगट हुए और उन्हें सामने देखकर ब्रह्राजी रोने लगे। ब्रह्राजी के आंसू भगवान विष्णु के पैरों पर गिरने लगे।
ब्रह्राजी की ऐसी भावना देखकर विष्णुजी प्रसन्न हो गए। तब ब्रह्राजी के आंसूओं से आमलकी यानी आंवले के वृक्ष की उत्पति हुई। इस प्रकार से आमलकी एकादशी के दिन जो भी भक्त आंवले के पेड़ की पूजा करेगा उसके सारे पाप नष्ट हो जाएंगे।
इस एकादशी के दिन सुबह स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। साथ ही आंवले का फल भगवान विष्णु को अर्पित करें और घी का दीपक जलाकर उनका ध्यान करें। शास्त्रों के अनुसार आमलकी एकादशी के दिन आंवला खाना शुभ होता है।