नई दिल्ली: बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ आवाज उठाने वाले प्रबुद्ध वर्ग में आज शामिल हो गए और कहा कि कई घटनाओं ने उन्हें ‘‘चिंतित’’ किया है और उनकी पत्नी किरण राव ने यहां तक सुझाव दे दिया कि उन्हें संभवत: देश छोड़ देना चाहिए।
खान ने वस्तुत: उन लोगों का समर्थन किया जो अपने पुरस्कार लौटा रहे हैं और कहा कि रचनात्मक लोगों के लिए उनका पुरस्कार लौटाना अपना असंतोष या निराशा व्यक्त करने के तरीकों में से एक है।
निश्चित तौर पर मैं चिंतित हुआ हूं
उन्होंने यहां पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए रामनाथ गोयनका पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में कहा, ‘‘एक व्यक्ति के तौर पर, एक नागरिक के रूप में इस देश के हिस्से के तौर पर हम समाचार पत्रों में पढ़ते हैं कि क्या हो रहा है, हम इसे समाचारों में देखते हैं और निश्चित तौर पर मैं चिंतित हुआ हूं। मैं इससे इनकार नहीं कर सकता। मैं कई घटनाओं से चिंतित हुआ हूं।’’
पिछले छह से आठ महीने में असुरक्षा और भय की भावना बढ़ी
अभिनेता ने कहा कि वह महसूस करते हैं कि पिछले छह से आठ महीने में असुरक्षा और भय की भावना बढ़ी है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं जब घर पर किरण के साथ बात करता हूं, वह कहती हैं कि ‘क्या हमें भारत से बाहर चले जाना चाहिए?’ किरण का यह बयान देना एक दुखद एवं बड़ा बयान है। उन्हें अपने बच्चे की चिंता है। उन्हें भय है कि हमारे आसपास कैसा माहौल होगा। उन्हें प्रतिदिन समाचारपत्र खोलने में डर लगता है।’’
समाज के लिए सुरक्षा की भावना और न्याय की भावना होना जरूरी
50 वर्षीय आमिर ने कहा, ‘‘यह बेचैनी बढ़ने की भावना का संकेत है, चिंता के अलावा निराशा बढ़ रही है। आप महसूस करते हैं कि यह क्यों हो रहा है, आप कमजोर महसूस करते हैं। मेरे भीतर यही भावना है।’’ उन्होंने कहा कि किसी भी समाज के लिए सुरक्षा की भावना और न्याय की भावना होनी जरूरी है।
उन्होंने राजनीतिज्ञों पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘..जो लोग हमारे चुने हुए प्रतिनिधि हैं, जिन लोगों को हमने राज्य या केंद्र में पांच वर्ष तक हमारी देखभाल करने के लिए चुना.. जब लोग कानून अपने हाथों में लेते हैं, हम कड़ा रुख अपनाने, एक कड़ा बयान देने, कानूनी प्रक्रिया तेज करने के लिए उनकी ओर देखते हैं, जब हम देखते हैं कि कुछ हो रहा है हमारे भीतर एक सुरक्षा की भावना आती है लेकिन जब हम कुछ होते हुए नहीं देखते तब हमारे भीतर एक असुरक्षा की भावना आती है।’’
रचनात्मक लोगों के लिए वह बात उठानी जरूरी है जो वे महसूस कर रहे हैं
उन्होंने वैज्ञानिकों, लेखकों और फिल्मनिर्माताओं द्वारा अपने पुरस्कार लौटाने और बढ़ती असहिष्णुता के माहौल के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के कदमों का समर्थन करते हुए कहा कि रचनात्मक लोगों के लिए वह बात उठानी जरूरी है जो वे महसूस कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘बड़ी संख्या में रचनात्मक लोगों.. इतिहासकार, वैज्ञानिक.. के भीतर कुछ भावना है जिसके बारे में वे मानते हैं कि उसे व्यक्त करने की जरूरत है। रचनात्मक लोगों के लिए अपना असंतोष या निराशा व्यक्त करने का एक तरीका अपने पुरस्कार लौटाना है। मेरा मानना है कि यह अपनी बात रखने के तरीकों में से एक है।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या वह लोगों के विरोधों का समर्थन करते हैं, आमिर ने कहा कि वह तब तक समर्थन करेंगे जब तक वह अहिंसक रहेगा क्योंकि ‘‘सभी व्यक्तियों को विरोध करने का अधिकार है और वे ऐसे किसी भी तरीके से विरोध कर सकते हैं जिसे वे सही मानते हैं जब तक वे कानून को अपने हाथों में नहीं ले रहे हैं।’’
आमिर ने कहा कि रचनात्मक जगत विरोध कर रहा है क्योंकि वह बेचैनी महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘..वे अपने चारों ओर बढ़ती असहिष्णुता का माहौल महसूस कर रहे हैं, उसके साथ असुरक्षा एवं निराशा बढ़ने की भावना और इसके परिणामस्वरूप उनके लिए यह दिखाने का एक तरीका है कि वे स्थिति से खुश नहीं हैं।’’
हिंसा का कृत्य निंदनीय है
उन्होंने दादरी घटना के बाद आये राजनीतिक बयानों की आलोचना की और कहा कि हिंसा का कृत्य निंदनीय है, चाहे वह लोगों के एक समूह के खिलाफ हो या किसी व्यक्ति के खिलाफ हो।’’ उन्होंने कहा कि लोग नेताओं की ओर देखते हैं कि वे आश्वस्त करने वाले बयान दें।
1984 विनाशकारी था, वह भयावह था
उन्होंने कहा, ‘‘इससे मतलब नहीं कि सत्ताधारी पार्टी कौन है.. इससे मतलब नहीं कि सत्ता में कौन है.. टेलीविजन पर होने वाली बहसों में हम देखते हैं कि वर्तमान में भाजपा सत्ताधारी है और उन पर विभिन्न चीजों के आरोप लगाये जाते हैं लेकिन वे कहते हैं कि 1984 का क्या। यह इसे सही नहीं बनाता। 1984 विनाशकारी था। वह भयावह था।’’
शहीद कर्नल महादिक के घर पर केवल रक्षामंत्री गए
इस सवाल पर कि ऐसा क्यों कि इतनी अधिक संख्या में राजनीतिज्ञों ने दादरी में व्यक्ति की पीट पीटकर हत्या करने की घटना के बाद वहां का दौरा किया जबकि पिछले सप्ताह एक आतंकवादी हमले में शहीद हुए कर्नल संतोष महादिक के घर पर केवल रक्षा मंत्री गए, उन्होंने ,कहा, ‘‘प्रत्येक आतंकवादी एवं हिंसा के कृत्य की उतने ही मुखर ढंग से निंदा होनी चाहिए।’’