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आमिर खान पहुंचे ‘पर्वत पुरूष’ के गांव

amirगहलौर (बिहार) । अभिनेता आमिर खान मंगलवार को ‘पर्वत पुरुष’ के नाम से मशहूर दशरथ मांझी के गांव गहलौर पहुंचे। उन्होंने कहा कि पर्वत पुरुष के नाम से प्रसिद्ध दशरथ मांझी उनकी प्रेरणा और आदर्श हैं। उनके गांव में आकर उन्हें काफी खुशी मिली है।दशरथ मांझी वही शख्स थे जिन्होंने अपने गांव में अकेले ही एक पहाड़ को काटकर रास्ता बनाया था। अपने कार्यक्रम ‘सत्यमेव जयते-2’ के लिए गया जिले के गहलौर गांव पहुंचे आमिर को देखने के लिए बड़ी संख्या में उनके प्रशंसक मौजूद थे। सभी लोग आमिर की एक झलक देखना चाहते थे।आमिर ने कहा कि एक व्यक्ति क्या कुछ नहीं कर सकता है इसका सबसे अच्छा उदाहरण दशरथ मांझी हैं। उन्होंने कहा ‘‘मैं यहां आकर यहां की मिप्ती का स्पर्श करके वाकई खुश हूं जहां एक अकेले इंसान ने अपनी नि:स्वार्थ प्रतिबद्धता का इतना बड़ा उदाहरण पेश किया।’’अभिनेता एवं फिल्म निर्माता आमिर ने कहा कि दशरथ मांझी का गांव देखने की उनके ख्वाहिश पूरी हुई।पहाड़ी पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इसके पहले भी वे बिहार आए हैं परंतु इस गांव में आकर उन्हें बेहद खुशी हो रही है। उन्होंने कहा कि बिहार में कई एतिहासिक और पर्यटक स्थल हैं और दोबारा वे फिर आएंगे।आमिर ने गांव में पर्वत पुरुष की समाधि पर फूल चढ़ाए और उनके परिजनों से मुलाकात की। कड़ी सुरक्षा के बीच आमिर ने मांझी के बेटे भगीरथ मांझी और बहू बसंती देवी एवं परिवार के दूसरे लोगों के साथ आधे घंटे तक बातचीत की।भगीरथ और बसंती ने आमिर से बातचीत करते हुए क्षेत्रीय बोली मघई में कहा कि वे बेहद गरीबी में जीवन बिता रहे हैं और अपनी स्थिति सुधारने के लिए आमिर की मदद चाहते हैं। गहलौर के दशरथनगर दलित टोला में रहने वाले भगीरथ और बसंती दोनों शारीरिक रूप से अपंग हैं और स्थानीय स्कूल में मिड डे मील पकाने का काम कर किसी तरह गुजारा चलाते हैं। आमिर से मिलने के बाद भगीरथ ने कहा ‘‘हमने हीरो से कहा कि उन्हें हमारी असल कहानी को दुनिया के सामने लाना चाहिए। शायद इससे सरकार का ध्यान हम पर जाए और हमारी कुछ मदद हो सके।’’बसंती ने कहा कि उसने आमिर को अपनी पूरी व्यथा बताई कि बदतर हालातों में वे गुजर कर रहे हैं। लेकिन उन्हें इस बात का दुख है कि आमिर ने उनका बनाया पारंपरिक खाना नहीं खाया। उसने कहा ‘‘साहब लोगों ने उन्हें (आमिर) खाना खाने नहीं दिया।’’आमिर ने घोषणा करते हुए कहा कि दशरथ के परिवार को उनकी यूनिट मदद करेगी और वह यूनिट जल्द ही इसके लिए पहल करेगी। उन्होंने कहा कि सत्यमेव जयते में दशरथ मांझी की चर्चा हुई थी तभी से उनके मन में यहां आने की इच्छा थी।ज्ञात हो कि दशरथ मांझी ने सिर्फ हथौड़े और छेनी की मदद से दिन-रात एक करके अपने गांव में स्थित पहाड़ को काटकर 36० फीट लंबा 3० फीट चौड़ा और 3० फीट ऊंचा रास्ता तैयार किया था। 2००7 में कैंसर से उनकी मौत हो गई थी।

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