सुप्रीम कोर्ट ने लोगों से धोखाधड़ी करने के मामले में आम्रपाली समूह को बुधवार को जोर का झटका दिया। कोर्ट ने कंपनी की देशभर में मौजूद कई संपत्तियों को जब्त करने का डेट रिकवरी ट्राइब्यूनल को निर्देश दिया है। इससे पहले, कंपनी ने यह कहते हुए डायवर्जन को सही ठहराने की कोशिश की कि पैसे ग्रुप कंपनियों से बाहर नहीं गए, बल्कि ग्रुप के बिजनस बढ़ाने में ही लगाए गए।
- सुप्रीम कोर्ट ने लोगों से धोखाधड़ी के मामले में आम्रपाली ग्रुप को करारा झटका दिया
- कंपनी की देशभर में मौजूद कई संपत्तियों को बेचने का डेट रिकवरी ट्राइब्यूनल को निर्देश
- कंपनी ने कहा कि पैसे ग्रुप कंपनियों से बाहर नहीं गए बल्कि ग्रुप के बिजनस बढ़ाने में ही लगे
- होम बायर्स से जुटाए पैसे का क्या किया, इसकी जानकारी नहीं देने पर कोर्ट ने जेल भेजने की दी थी धमकी
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आम्रपाली ग्रुप को करारा झटका दिया है। निवेशकों से पैसे लेने के बावजूद उन्हें उनका मकान नहीं देने के मामले में कोर्ट ने आम्रपाली के निदेशकों से जवाब मांगा है कि उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई क्यों नहीं की जाए। इसके अलावा, कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप के राजगीर, बक्सर, ग्रेटर नोएडा के होटल, बरेली का मॉल, नोएडा के चार कॉरपोरेट ऑफिस, मुजफ्फरपुर का मॉल, गया का बुद्धा मॉल, पूर्णिया की जमीन, भुवनेश्वर हाउजिंग प्लॉट और इस्पात फैक्ट्री वाली संपत्तियों को जब्त करने का DRT को निर्देश दिया है। इससे पहले, होम बायर्स से जुटाए पैसे का क्या किया, इसकी सही-सही जानकारी नहीं देने पर जेल में डालने की सुप्रीम कोर्ट की धमकी के बाद आम्रपाली ग्रुप के सीएमडी ने मान लिया कि 2,996 करोड़ रुपये दूसरी कंपनी का बिजनस बढ़ाने में लगा दिए गए।
इसी वजह से हाउजिंग प्रॉजेक्ट्स पूरा करने के लिए जरूरी रकम का अभाव हो गया और ये प्रॉजेक्ट्स लटक गए। कंपनी ने कहा कि 2,996 करोड़ रुपये के डायवर्जन का आंकड़ा मार्च 2015 तक का ही है क्योंकि उसके बाद से बैलेंसशीट अपडेट ही नहीं की गई है। आम्रपाली के सीएमडी अनिल शर्मा ने एक विस्तृत शपथपत्र (ऐफिडेविट) के जरिए कोर्ट को सभी 46 ग्रुप कंपनियों के मौद्रिक लेनदेन की जानकारी दी और कहा कि 5,980 करोड़ रुपये मॉल्स और रेजॉर्ट्स बनाने, जमीन खरीदने, ऑफिस के संचालन में तथा बैंकों एवं होम बायर्स को पैसे वापस करने पर खर्च किए। शर्मा ने बताया कि आम्रपाली ग्रुप ने जुटाई गई रकम से 667 करोड़ रुपये ज्यादा खर्च किए और यह रकम ठेकेदारों को देनी है। उन्होंने आम्रपाली की उन 9 कंपनियों की लिस्ट दी जहां से होमबायर्स के पैसे दूसरी कंपनियों में लगाए गए। कंपनी ने यह कहते हुए डायवर्जन को सही ठहराने की कोशिश की कि पैसे ग्रुप कंपनियों से बाहर नहीं गए, बल्कि ग्रुप के बिजनस बढ़ाने में ही लगाए गए।
ऐफिडेविट में कहा गया है कि कुछ कंपनियों को ग्रुप की ओर से लोन दिया गया और करीब-करीब पूरी रकम वापस आ गई। सीएमडी ने ऐफिडेविट में कहा, ‘आम्रपाली ग्रुप की कुछ कंपनियों से कुछ दूसरी कंपनियों में पैसे की हेराफेरी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स, सीएफओ और ऑडिटर के संज्ञान में थी क्योंकि ऐसा उन सबके पेशेवर सलाह एवं सुझाव पर ही किया गया।’गौरतलब है कि आम्रपाली के सैकड़ों हाउसिंग प्रॉजेक्ट्स हैं, जिनमें नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा के वे 170 टावर शामिल हैं, जिनमें 46 हजार होम बायर्स ने निवेश कर रखा है। इन प्रॉजेक्ट्स के लिए कंपनी ने विभिन्न वित्तीय संस्थानों एवं प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के जरिए भी 4,040 करोड़ रुपये जुटाए। 2015 तक की बैलेंस शीट और कुछ कच्चे-पक्के आंकड़ों का हवाला देते हुए आम्रपाली ग्रुप ने दावा किया कि उसने इन हाउसिंग प्रॉजेक्ट्स में 10 हजार 300 करोड़ रुपये निवेश किए।