राष्ट्रीय

आम लोगों की नजर में मोदी के दो साल

vv modiतूफानी चुनावी दौरों के दौरान गरजते शब्दों और लुभावने वादों के जरिए देश की दशा और दिशा बदल देने वाली बात करने वाले और अच्छे दिनों का ख्वाब दिखाने वाले नरेंद्र मोदी की सरकार के दो साल पूरे हुए. जाहिर है , मौका मूल्यांकन का है. कितनी पूरी हुई देश की अपेक्षा, जानते हैं रांची के लोगों से….

मोदी का नारा है, सबका साथ, सबका विकास. दो सालों में जो प्रोजेक्ट लाए हैं, उनमें यह नारा झलकता है.प्रधानमंत्री इंश्योरेंश पॉलिसी, डिजिटल इंडिया, स्मार्ट इंडिया, किसानों के लिए ऑनलाइन मार्केटिंग, क्लीन इंडिया, स्टैंडअप इंडिया…दो साल में लाए गए उनके प्रोजेक्ट में विविधता दिखती है. देखना है कि पांच साल में ये प्रोजेक्ट कितना पूरा होता है. – सुमित कुमार डे, धुर्वा में जेएन कॉलेज के लेक्चरर

मोदी का स्वच्छता अभियान कमाल का है. बच्चे बच्चे पर इसका असर दिखता है. घर से रोड तक कचरा फेंकते वक्त एकबारगी से हाथ ठिठक सा जाता है. गोल्ड बॉंड की स्कीम भी कमाल की है.घर या बैंक में बेकार पड़े सोने की बजाय देश के विकास इससे संभव है.- कंचन, चार्टेड एकाउंटेंट

कई अच्छे काम शुरू हुए हैं. विदेशों में भारत की छवि बेहतर हुई है. स्वच्छता अभियान जैसे काम का परिणाम अभी नहीं दिखता. बाद के वर्षों में इनका परिणाम दिखने लगेगा. सरकार ने दूर की सोची है. – डॉ पूनम सहाय, एसोसिएट प्रोफेसर, रांची यूनिवर्सिटी

गैस सब्सिडी का कॉन्सेप्ट कमाल का है. दो-चार सौ रुपए से हमारा कुछ नहीं बनता या बिगड़ता है. पर कई परिवारों की रसोई में गैस की कीमत बहुत मायने रखती है. हम किसी के घर जाकर इतनी छोटी रकम नहीं दे सकते. पर गैस सब्सडी छोड़ कर सकून महसूस करते हैं कि चलो कोई अच्छा काम किया. हां, एक वादा पूरा होता नहीं दिख रहा. वह है विदेशी खातों से काले धन की वापसी. – गौरव माहेश्वरी, ओनर, रेमंड शो रूम

बेशक दो सालों में कई लुभावने प्रोजेक्ट लेकर नरेंद्र मोदी की सरकार उतरी है, पर सवाल है कि कितने प्रोजेक्ट मंजिल तक पहुंचते हैं और कितने दम तोड़ देते हैं. काला धन वापसी पर उनकी चुप्पी खलती है. भ्रष्टाचार पर देश में लगाम लग गई हो, ऐसा भी नहीं है. ऐसे में कहूंगी की दो सालों में शब्दों का जाल ही अधिक दिखा है, असली काम नहीं. अनामिका सिंह, फैशन डिजाइनर

समाज के नीचले पायदान के लिए तो बेशक बेहतर काम किया है. इंश्योरेंस, खाता खुलवाना, गैस सब्सिडी जैसे कई काम प्रशंसनीय किए हैं. हां, बिजनेस क्लास के लिए उन्होंने कुछ ऐसे नियम कानून बनाए हैं, जो उनके लिए बेहतर नहीं कहे जा सकते. – बीना अग्रवाल, होम मेकर

 

Related Articles

Back to top button