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आयुष्मान खुराना ने कहा -‘आर्टिकल 15’ जैसी फिल्में जनता की सोच में ला सकती हैं बदलाव…

आगामी फिल्म ‘आर्टिकल 15’ 28 जून को रिलीज होने के लिए तैयार है और इसके निर्माता इसकी स्क्रीनिंग देश के ग्रामीण हिस्सों में करने की योजना बना रहे हैं, जहां जाति आधारित सामाजिक भेदभाव अभी भी प्रचलित है. फिल्म के मुख्य अभिनेता आयुष्मान खुराना ने शनिवार को मीडिया को बताया, ‘फिल्म बनाने का एक कारण यह भी रहा है कि हम ग्रामीण भारत तक पहुंचना चाहते हैं, उन जगहों तक पहुंचना चाहते हैं जहां अभी भी जाति के आधार पर भेदभाव होता है.

आयुष्मान खुराना ने कहा अगर हम एक आर्ट हाउस फिल्म बनाते हैं और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों में जाते हैं तो हम सिर्फ उन्हीं दर्शकों तक पहुंच पाएंगे जो पहले से ही भेदभाव के बारे में जानते हैं’. उन्होंने कहा, ‘लेकिन अगर हम ग्रामीण लोगों तक पहुंचते हैं तो हम उनकी सोच में बदलाव ला सकते हैं’.

निर्देशक अनुभव सिन्हा ने कहा, ‘हम मोबाइल स्क्रीनिंग करने की योजना बना रहे हैं. फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग से हर किसी की इस तक पहुंच होगी’. फिल्म में आयुष्मान एक पुलिस अधिकारी की भूमिका में हैं जो दो दलित लड़कियों के दुष्कर्म व हत्या मामले की जांच करने के लिए एक गांव में जाता है’.

बता दें कि साल 2014 में उत्तर प्रदेश का बदायूं उस समय खबरों में आ गया था जब दो लड़कियों की लाश पेड़ से लटकी पाई गई थी. 14 और 15 साल की दो चचेरी बहनें 27 मई 2014 की रात अपने घर से लापता हो गई थीं. उनके शव अगले दिन उशैत इलाके के गांव में एक पेड़ से लटकते पाये गये थे.

कटरा सादतगंज गांव में दो दलित लड़कियों के साथ हुए इस जघन्य अपराध के पीछे ऊंची-नीची जात का मामला था जिसमें पीड़ितों के गांव के ही ऊंची जाति के पांच लड़कों पर आरोप लगाया था. गांववालों ने इस मामले में पुलिस और (सपा) सरकार के खिलाफ खूब विरोध प्रदर्शन किया था. इस केस में कुल पांच लोगों को रेप और मर्डर के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. इनमें से तीन गांव के लड़कों के साथ दो पुलिस कॉन्स्टेबल भी थे.

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