आरएसएस-“संघ या जमात से जुड़े होने पर सरकारी नौकरी न देना गलत”
एजेंसी/ नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ या जमात से जुड़े होने पर सरकारी नौकरी न दिए जाने से संबंधित सर्कुलर के नियमों में बदलाव किए जाने के सरकार के फैसले का संघ ने भी स्वागत किया है। संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्द ने कहा कि कई मामलों में कोर्ट ने सरकार के इस सर्कुलर को असंवैधानिक करार दिया है।
उन्होने इसे गलत बताते हुए कहा कि संघ सरकारी तरीके से या उसकी मदद से नहीं चलता। हमारा काम आम लोगों के लिए, आम लोगों के साथ और आम लोगों की ओर से चलाया जाता है। वैद्द ने कहा कि सरकार की ओर से ऐसी पाबंदी लगाया जाना संघ और स्वंयसेवकों के काम में बाधा पहुंचाना और उनका मनोबल कम करना है। लेकिन इन सबके बावजूद भी संघ का काम चलता रहता है। ऐसे सर्कुलर को निश्चित तौर पर हटाया जाना चाहिए।
बता दें कि सरकार जल्द ही 1966 के सर्कुलर को हटाने पर विचार कर रही है। इस सर्कुलर के अनुसार, राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ या कोई अन्य गैर सरकारी संगठन से जुड़े लोगों को सरकारी नौकरी न देने की घोषणा की गई थी। दरअसल सरकार ये कदम अब इसलिए उठा रही है क्यो कि राजस्थान में कस्टम विभाग में आरएसएस से न जुड़े होने के घोषणापत्र देने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। हाल ही में गोवा में एक मामला सामने आने के बाद सरकार को यह फैसला लेना पड़ रहा है।
केंद्र सरकार के एक विभाग में 1966 के इसी सर्कुलर के कारण नई नियुक्ति किए गए कर्मचारियों से घोषणा पत्र मांगा गया था। जिसमें उन्हें बताना था कि वो कहीं आरएसएस या जमात से जुड़े हुए तो नहीं है। इस संबंध में केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने बयान दिया है कि सरकार ने ऐसा कोई सर्कुलर जारी नहीं किया है।
सिंह ने कहा कि अगर किसी पुराने सर्कुलर की वजह से यह गलतफहमी उपजी है तो उसे दूर किया जाएगा। उनके इस बयान से कयास लगाए जा रहे हैं कि अब सरकार इस सर्कुलर को वापस ले सकती है। ग-ह मंत्रआलय ने ये सर्कुलर 1966 में जारी किया था।
जिसमें कहा गया था कि यदि कोई इन संगठनों से जुड़ा हुआ है, तो उसे सरकारी नौकरी नहीं दी जाएगी। 1975 और 1980 में इसे दोबारा से जारी किया गया था। लेकिन कई सालों तक इसका पालन नहीं किया गया।