आरिफ बोला- साफ करता था टॉयलेट और सुंदर महिलाओं की पहरेदारी
नई दिल्ली। इराक में आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के लिए काम करने के बाद भारत लाए गए 22 साल के आरिफ ने बताया है कि उसे आतंकी संगठन के आकाओं ने युद्ध नहीं लड़ने दिया बल्कि उससे टॉयलेट साफ करवाने, कूड़े से काम की चीजें ढूंढने और महिलाओं की सुरक्षा करने जैसे कम अहमियत वाले काम करवाए। आरिफ ने बताया है कि आईएसआईएस भारतीयों को जंग लड़ने के लायक नहीं मानता। मुंबई का कल्याण का रहने वाला आरिफ माजिद छह महीने में जीवन के चार अहम संस्कारों से गुजर गया। भारत की जमीन छोड़ने और आईएसआईएस के लिए काम करने के बीच बीते छह महीने में आरिफ के चार ‘संस्कार’ हो गए। इस दौरान उसका नया नाम रखा गया, उसकी शादी, ‘मौत’ और अंतिम संस्कार तक हो गए। नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) आरिफ से पूछताछ कर रही है। आरिफ 8 दिसंबर तक एनआईए की हिरासत में रहेगा। एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘आरिफ एक साथ कई विरोधाभासी बातें कर रहा है। उसके शरीर पर गोली से जख्म के दो और बम फटने की वजह से बने जख्म का एक निशान है। हमने उसे नहीं बचाया बल्कि उसने अपने परिवार से संपर्क किया और तुर्की से बचाए जाने की बात कही। हम यह नहीं जानते कि वह तुर्की कैसे पहुंचा। हमारी नजर में वह अपराधी नहीं है, बल्कि एक भटका हुआ नौजवान है। इसलिए हम उसके साथ सज्जनता के साथ पेश आ रहे हैं।’
लेकिन अधिकारी ने बताया, ‘आरिफ के अचानक हुए हृदय परिवर्तन को लेकर हमें सावधान रहना होगा। उसे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है। उसने सिर्फ इतना बताया है कि वह आईएसआईएस के लिए उपयोगी साबित नहीं हुआ।’ एनआईए सूत्रों के मुताबिक, ‘आरिफ ने बताया कि आईएसआईएस के आतंकवादी भारतीयों को अपने साथ लेना चाहते हैं, लेकिन उन्हें लगता है कि भारतीय जंग के मैदान के लिए नाकाबिल हैं और वे दूसरे कामों के लिए बेहतर हैं। आरिफ ने यह भी कहा कि आईएसआईएस के आतंकी उसे टॉयलेट साफ करने, कूड़ा उठवाने और उन महिलाओं की सुरक्षा करने के लिए तैनात किया गया था जो उसके आकाओं को खुश करने के लिए लाई गई थीं।’