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आरुषि मर्डर केस में अभी तक नहीं छूट पाए दंपति परिवार, जानें क्या है कारण
गाजियाबाद. अारुषि मर्डर केस में गाजियाबाद की डासना जेल में बंद उसके माता-पिता की रिहाई हाईकोर्ट के ऑर्डर के बावजूद अटक गई। शुक्रवार को वे दिनभर जेल एडमिनिस्ट्रेशन से सवाल करते रहे कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को जब तुरंत रिहाई का ऑर्डर दिया था तो अब तक उन्हें छोड़ा क्यों नहीं जा रहा। हर बार एक ही जवाब मिलता कि अभी ऑर्डर की कॉपी नहीं पहुंची है। बता दें कि शुक्रवार शाम तक जेल एडमिनिस्ट्रेशन के पास उनकी रिहाई का ऑर्डर ही नहीं पहुंचा। शनिवार-रविवार को छुट्टी है। ऐसे में अब वे सोमवार को ही बाहर आ पाएंगे।
शुक्रवार को डॉ. तलवार ने देखे दोगुने मरीज…
– आरुषी के माता-पिता राजेश और नूपुर तलवार ने शुक्रवार को रिहाई की उम्मीद में 70 किताबों समेत अपना सारा सामान पैक कर लिया था।
– शुक्रवार शाम को जेल सुप्रिटेंडेंट दधिराम मौर्य ने डॉ. तलवार को बताया कि ऑर्डर की कॉपी नहीं पहुंची है। ऐसे में रिहाई सोमवार तक अटक जाएगी। इस पर डॉ. राजेश मायूस हो गए।
– इससे पहले शुक्रवार को डॉ. राजेश ने दोगुने मरीज देखे। आमतौर पर वह रोज 15-20 मरीज देखते थे। शुक्रवार को 44 मरीज देखे। 10 के बजाए 8 बजे ही वह अस्पताल पहुंच गए थे। – वहीं, जब कैदियों को पता चला कि डॉ. राजेश रिहा हो रहे हैं, तो कई कैदी दांत दिखाने पहुंच गए। 2 कैदियों का उन्होंने ऑपरेशन भी किया।
– सुबह 9 से शाम 5 बजे तक जेल सुपरिटेंडेंट कई बार डॉ. तलवार से मिले।
– इससे पहले शुक्रवार को डॉ. राजेश ने दोगुने मरीज देखे। आमतौर पर वह रोज 15-20 मरीज देखते थे। शुक्रवार को 44 मरीज देखे। 10 के बजाए 8 बजे ही वह अस्पताल पहुंच गए थे। – वहीं, जब कैदियों को पता चला कि डॉ. राजेश रिहा हो रहे हैं, तो कई कैदी दांत दिखाने पहुंच गए। 2 कैदियों का उन्होंने ऑपरेशन भी किया।
– सुबह 9 से शाम 5 बजे तक जेल सुपरिटेंडेंट कई बार डॉ. तलवार से मिले।
रोज की तरह पढ़ाने गईं नूपुर तलवार
– डॉ. नूपुर तलवार का रुटीन भी पहले जैसा ही रहा। सुबह 10 बजे क्रेच में बच्चों को पढ़ाने गईं। एक घंटे बच्चों को पढ़ाया। इसके बाद लेडीज बैरक में महिलाएं नूपुर से मिलीं और अपनी रिहाई का तरीका पूछा।
क्या है मामला?
– मई 2008 में नोएडा के एक घर में आरुषि और उसके नौकर हेमराज की डेड बॉडी पाई गई थी। गाजियाबाद की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की थी।
– एडिशनल सेशन जज श्यामलाल यादव ने मशहूर डेंटिस्ट राजेश और नूपुर तलवार को परिस्थितिजन्य सबूतों (circumstantial evidence) के आधार पर दोषी माना था।
– जस्टिस यादव ने 28 नवंबर 2013 को तलवार दंपती को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
– एडिशनल सेशन जज श्यामलाल यादव ने मशहूर डेंटिस्ट राजेश और नूपुर तलवार को परिस्थितिजन्य सबूतों (circumstantial evidence) के आधार पर दोषी माना था।
– जस्टिस यादव ने 28 नवंबर 2013 को तलवार दंपती को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
HC ने फैसले में क्या कहा?
– इस मामले की सुनवाई गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस बीके नारायण और जस्टिस एके मिश्रा की बेंच ने की। बेंच ने कहा- मौजूदा सबूतों के आधार पर तलवार दंपती को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। तलवार दंपती को दोषी ठहराने के लिए हालात और सबूत काफी नहीं हैं। हालात और कोर्ट के सामने पेश किए गए सबूतों की कड़ी से यह साबित नहीं होता कि वे आरुषि और हेमराज के कत्ल में शामिल थे। बेनिफिट ऑफ डाउट (संदेह का लाभ) देने के लिए यह बिल्कुल फिट केस है।