राष्ट्रीय
आर्कटिक की बर्फीली हवाओं से उत्तर भारत में पद रही है कड़ाके की ठंड
उत्तर भारत इस साल लंबी और कंपकपाने वाली ठंड का सामना कर रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस ठंड का संबंध आर्कटिक क्षेत्र से है। भारतीय मौसम विभाग का कहना है कि ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि पोलर वोर्टेक्स (ध्रुवीय चक्रवात) से हवाओं में उतार-चढ़ाव के कारण पिछले साल दिसंबर से लेकर अबतक ठंड का असर उत्तर भारत में बढ़ता दिखा है।
उत्तर भारतीयों को कड़ाके की ठंड का सामना करना पड़ रहा है। राजस्थान के चुरु का तापमान मंगलवार को -1.1 डिग्री सेल्सियस था। भारतीय मौसम विभाग के अधिकारी के अनुसार ऐसा पोलर वोर्टेक्स के कारण हो सकता है। पोलर वोर्टेक्स के कारण ही यूरोप और अमेरिका में भी जबरदस्त सर्दी पड़ रही है।
मौसम विभाग में लॉन्ग रेंज के प्रमुख डी सिवामंद पाई का कहना है, “आर्कटिक से आने वाली ठंड यूरोप और अमेरिका के दक्षिणी छोर में फैल रही है, जो पक्षिमी विक्षोभ को उत्तर भारत की ओर धकेलती हुई लग रही है। इसका मतलब ये है कि यह ठंड को दक्षिणी यूरोप से उत्तर भारत की तरफ ला रही है।”
क्या है पश्चिमी विक्षोभ?
पश्चिमी विक्षोभ निम्न दाब की हवाओं के कण हैं। ये भूमध्यसागरीय क्षेत्र से पश्चिम और आसपास की ओर से आती हैं, जिसके कारण ठंडी और नम हवाएं आती हैं। ये हवाएं या तो हिमालय से टकराकर उत्तर भारत को प्रभावित करती हैं या फिर उत्तर की तरफ मुड़ जाती हैं। इस साल जनवरी में उत्तर भारत को 7 पश्चिमी विक्षोभ प्रभावित कर चुके हैं। जबकि इसकी सामान्य संख्या 4 से 6 है।