आर्थिक वृद्धि दर से तेज रहा 500, 1,000 रुपये के नोटों का प्रसार
नई दिल्ली| आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने मंगलवार को कहा कि आर्थिक वृद्धि दर से 500 और 1,000 रुपये के नोटों का प्रसार कहीं तेज था, जिसके कारण सरकार को इन्हें वापस लेने का औचक फैसला करना पड़ा। सरकार द्वारा 500 और 1,000 रुपये के नोटों को वापस लिए जाने को साहस भरा और दमदार कदम की संज्ञा देते हुए दास ने कहा कि यह कालेधन और आतंकवादियों को आर्थिक मदद पहुंचाने वाले नकली नोटों से निपटने का उपाय है।
उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा, “केंद्र सरकार का यह एक और प्रभावी और निर्णायक कदम है।”
उन्होंने कहा कि असली नोटों में सुरक्षा के लिए अपनाए गए उपायों को तो नहीं तोड़ा जा सका था, लेकिन आम जनता को नकली नोटों के बारे में बहुत कम जानकारी थी।
दास ने कहा कि 2011 से 2016 के बीच सभी नोटों के प्रसार में 40 फीसदी की वृद्धि हुई, लेकिन 500 रुपये के नोटों का प्रसार 76 फीसदी की दर से और और 1,000 रुपये के नोटों का प्रसार 109 फीसदी की दर से हुआ। वहीं इसी अवधि में देश की आर्थव्यवस्था में 30 फीसदी की वृद्धि हुई।
उन्होंने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक 10 नवंबर से बाजार में नए नोट उतारना शुरू करेगा।
दास ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक और केंद्रीय वित्त मंत्रालय में नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकारों को केंद्र सरकार के फैसले से अवगत करा दिया गया है।