आर्यकुल ग्रुप ऑफ कॉलेज ने किया विशेष सत्र का आयोजन, चिकित्सा क्षेत्र के प्रतिष्ठित हस्ती रहे शामिल
लखनऊ : आर्यकुल ग्रुप ऑफ फार्मेसी एंड रिसर्च ने आज एक विशेष बातचीत का आयोजन किया जिसमें डॉ. उदय सी. घोषाल, एमबीबीएस, एमडी, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और डॉ. विनोद तिवारी, एमबीबीएस, न्यूरोसर्जन बतौर विशेष अतिथि कॉलेज परिसर में उपस्थित रहे। यह आयोजन विभिन्न बीमारियों, उसके कारणों, इलाज व रोकथाम पर कुछ महत्वपूर्ण बातों को छात्रों के साथ साझा करने के उद्देश्य से किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से की गयी। कॉलेज के फार्मेसी व बीटीसी विभाग के छात्र-छात्राएं शामिल रहे। प्रबंध निदेशक, सशक्त सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा, श्हमारा यह हमेशा से उद्देश्य रहा है कि हम अपने सभी विद्यार्थियों को किताबी ज्ञान के साथ प्रैक्टिकल अनुभव भी प्रदान करें जिससे वह हर तरीके से योग्य बनें और फील्ड में भी अपना बेहतर प्रदर्शन कर सकें। डॉ. उदय सी. घोषाल ने ष्स्वास्थ्य और बीमारी में गट माइक्रोबायोटिया की भूमिकाष् विषय पर बात की। उन्होंने इस तथ्य पर जोर दिया कि गट माइक्रोबायोटिया मानव शरीर का सबसे बड़ा अंग है। यह कई जीआई रोगों के रोकथाम के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है और साथ ही यह कैसे फेकल प्रत्यारोपण में मदद करता है।
वहीँ एक अच्छे माइक्रोबायोटिया वाला व्यक्ति दूसरे व्यक्ति की बीमारी को भी ठीक कर सकता है। हिप्पोक्रेट्स का उदाहरण देते हुए, उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि सभी रोग मानव की आँतों से ही शुरू होते हैं। अधिक बार एंटीबायोटिक दवाओं के संपर्क में रहने वाला व्यक्ति मोटापे का शिकार हो जाता है। इसके अलावा, पश्चिमि देशों में उपयोग होने वाले फेकल प्रत्यारोपण से व्यक्ति के माइक्रोबोटिया को भी बदला जा सकता है और भारत को भी ऐसे तरीकों को अभ्यास में लाने की आवश्यकता है। डॉ. घोषाल ने कहा, श्पश्चिम में अधिक पोषण है तो वहीँ पूर्व में लोग कुपोषण के शिकार होते जा रहे हैं। महत्वपूर्ण यह है कि लोगों को मोटापे से बचने के लिए भारी भोजन के बजाय उच्च कैलोरी वाले आहार का सेवन करना चाहिए। चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में चीन काफी बदल गया है और भारत को भी ऐसे अग्रिम तरीकों को अपनाने की आवश्यकता है जो आजकल पश्चिमी देशों में उपयोग किए जाते हैं। इसके अलावा, विज्ञान पैसा जुटाने में भी काफी मदद करता है। इसलिए भारत सरकार को न केवल शोध पत्र लिखने बल्कि दुनिया भर में उनकी मार्केटिंग भी करनी चाहिए जिससे हम आर्थिक स्थिति में भी खुद को मजबूत कर सकें। वहीँ डॉ विनोद कुमार तिवारी ने 10,000 फोल्ड इफेक्ट विषय पर चर्चा की। उन्होंने ब्रेन डेथ, स्ट्रोक और सेरिब्रल पाल्सी जैसे विभिन्न न्यूरो से जुड़े मुद्दों पर जोर दिया। उन्होंने कहा, श्हम एक स्ट्रोक रोगी को 6 घंटे के भीतर उचित ऑक्सीजन प्रदान करके व रक्त की आपूर्ति को बढ़ा कर बचा सकते हैं।
मानव मस्तिष्क में ऑक्सीजन और रक्त की कमी अक्सर स्ट्रोक और सेरिब्रल पाल्सी का मुख्य कारण बनती है। इसी बीच डॉ विनोद कुमार तिवारी ने छात्रों के लिए अपने अनुभवों से जुड़े कुछ वीडियो भी प्रदर्शित किए जिसमें दिखाया गया कि कैसे 10,000 फोल्ड इफेक्ट ने स्ट्रोक और सेरिब्रल पाल्सी के कई रोगियों को ठीक करने में मदद की है। यह एक काफी जानकारीपूर्ण सत्र रहा जिसने छात्रों को चिकित्सा क्षेत्र की प्रतिष्ठित हस्तियों के साथ बातचीत करने का और अपने ज्ञान को बढ़ाने का अच्छा अवसर प्रदान किया। अंत में सभी अतिथियों को प्रबंध निदेशक ने परंपरा अनुसार शॉल व पौधा दे कर सम्मानित किया। इस अवसर पर कॉलेज के प्रबंध निदेशक, सशक्त सिंह, अपर निदेशक, डॉ वी. बी. सिंह, डीन राजीव जोहरी, उप निदेशक आदित्य सिंह, फार्मेसी विभाग के प्रधान अध्यापक, दुर्गेश मणि त्रिपाठी संग सभी विभागों के विभागाध्यक्ष और शिक्षकगण मौजूद रहे।