आशियाना गैंगरेप: कोर्ट ने माना गौरव शुक्ला को दोषी
दो मई 2005 में घटी ये दुर्घटना 11 साल से कानूनी दांव-पेंच में फंसी हुई थी। इस केस में मुख्य आरोपी गौरव शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट में एसपीएल दाखिल की थी, जिसे मंगलवार को खारिज कर दिया गया था। आरोपी ने हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें उसे गैंगरेप के वक्त बालिग करार दिया गया था।
आशियाना रेप केस में गौरव शुक्ला सहित छह आरोपी थे। इनमें से अमन बख्शी और भारतेंदु मिश्रा को 2007 में 10 साल की सजा हो चुकी है। दो आरोपी सौरभ जैन और आसिफ सिद्दीकी की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। जनवरी 2013 में फैजान को आजीवन कारावास की सजा हो चुकी है।
मामला सिर्फ गौरव शुक्ला के बालिग और नाबालिग होने में लटका था। दो मई 2005 की घटना में पहली बार 15 जनवरी 2013 को गौरव शुक्ला को जेजे बोर्ड ने बालिग ठहराया था। इसके बाद फर्जी सर्टिफिकेट और गवाहों के दम पर उसे नाबालिग साबित करने खेल शुरू हो गया।
इसकी सुनवाई के बाद जेजे बोर्ड ने एक और आदेश 21 मार्च 2014 को दिया। इसमें भी उसे बालिग बताया गया। इसके खिलाफ गौरव शुक्ला और उसके परिवारीजनों ने सेशन कोर्ट में अपील की।
दो साल बाद 11 मार्च 2015 को सेशन कोर्ट ने गौरव को बालिग माना और अपील खारिज कर दी। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में रिवीजन पिटीशन की गई। 18 मार्च 2016 को हाईकोर्ट ने इसे भी खारिज कर दिया और घटना के वक्त गौरव को बालिग माना।
आशियाना इलाके के नागेश्वर मंदिंर के पास तीन लड़के कार से उतरे और उसे जबरदस्ती गाड़ी में बैठा लिया।
पीड़िता का भाई मदद के लिए चिल्लाता रहा लेकिन किसी ने मदद नहीं की। दरिंदे गाड़ी को पूरे शहर में घुमाकर उसके साथ दुराचार करते रहे। विरोध पर उसे सिगरेट से भी दागा। इसके बाद उसे सुनसान इलाके में फेंककर भाग गए थे।
इस मामले में 5 आरोपियों को सजा मिल चुकी है लेकिन गौरव की उम्र को लेकर मामला लटका हुआ था। आरोपी गौरव शुक्ला की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एसएलपी खारिज होने के बाद फास्ट ट्रैक कोर्ट ने बुधवार को उसे सजा सुनाई।