गुजरात (एजेंसी) संत शब्द को लांछित करने वाला तथाकथित ढ़ोंगी आसाराम न जाने किस मिट्टी का बना है कि उसने दुराचार और व्यभिचार की सभी सीमाऐं तोड़ दी हैं। सर्वाधिक आश्चर्य तो इस बात का है कि उसका पूरा परिवार ही आसाराम और उसके बेटे नारायन के कुकृत्यों में शामिल था। जेल में बंद आसाराम के काले चिठ्ठे रोज खुल रहे हैं। सूरत में दो सगी बहनों ने प्रकरण दर्ज करवाया है कि बड़ी बहिन के साथ आसाराम ने छोटी बहिन के साथ नारायन ने दुराचार किया जिसमें सहयोग आसाराम की पत्नी और बेटी का था।
ऐसा दरिंदा कामोत्तेजक औषधियां लेता है, अफीम के नशे से धुत्त आसाराम को हर रात 6-7 लड़कियों की दरकार होती थी। कोई भी सुन्दर महिला भले ही शादी-शुदा हो उसकी हवस से बच नहीं पाती थी। आसाराम के सेवादारों को केले की जड़ का रस पिलाकर नपुंसक बनाया जाता था जिससे उन्हें परिवार की याद ही न आये। आसाराम वजीकरण या सम्मोहनी विद्या की साधना करता था। वह जिस लड़की या महिला को समर्पण हेतु बुलाता तो यही कहता ‘मैं भगवान् हूँ, कृष्ण अवतार के समय तुम मेरी गोपी थी, तुम्हें उस समय सुख नहीं दे सका, तुम्हारे लिये मैंने अवतार लिया है और इस जन्म में तुम्हें तृप्त करने आया हूँ।’ उसकी बातों का जाल इतना कठोर था कि अगर बात नहीं मानी तो मरवाने की धमकी देता था।
अहमदाबाद की अदालत ने दीपेश-अभिषेक मौत के प्रकरण में 7 सेवादारों को बुलाया गया था जिनमें शुक्रवार की तारीख पर कुल तीन सेवादार पहुंचे, शेष चार के विरूद्ध जज ने गिरफ्तारी वारंट निकाल दिया है अब पुलिस गिरफ्तार कर उन्हें पेश करेगी। एक पुजारी की धर्मपत्नि आसाराम के आश्रम से लापता है, पुजारी सैकड़ों आवेदन दे चुका पर गिरफ्तार होने के पूर्व आसाराम के रसूख के आगे न तो पूछताछ हुई न ही पत्नी मिली।
आसाराम की काम पिपासा धीरे-धीरे भूख में तब्दील हो गई, वह रसूख में अहंकारी बन गया और पुलिस को चुनौती देने में भी नहीं चूकता था, क्योंकि उसने अपनी शिष्य मंडली से कह रखा था कि अगर पुलिस पकड़ने आये तो तुम लोग विरोध करना। आसाराम की भूख की ज्वाला में न जाने कितने मासूमों की चीखें निकलती रहती थी। वह बच्चों, बच्चियों के साथ भी कामक्रीड़ा करके अपनी हवस मिटाता था।