आॅस्ट्रेलिया में मारे जाएंगे 1,900 से ज्यादा कंगारू?
मेलबर्न। ऑस्ट्रेलिया की पहचान रहे कंगारुओं को अब यह देश मजबूरी में मौत के घाट उतारेगा। सोमवार से यहां 1,900 कंगारुओं को मारने का काम शुरू होगा, ताकि उनकी संख्या कम की जा सके।
ऑस्ट्रेलिया को चिंता है कि कंगारुओं की संख्या के कारण स्थानीय पर्यावरण पर विध्वंसक प्रभाव पड़ सकते हैं। कंगारुओं की संख्या नियंत्रित करने के वार्षिक कदम के तहत शुक्रवार को इस आशय की घोषणा की गई।
कंगारुओं को पूरे ऑस्ट्रेलियाई राजधानी क्षेत्र (एसीटी) में मारा जाएगा। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पूरे क्षेत्र में स्थित 10 अभयारण्यों को प्रत्येक शाम बंद कर दिया जाएगा ताकि 1,901 कंगारुओं को मारा जा सके।
एसीटी वार्षिक कंगारू संख्या नियंत्रण के तहत पिछले दो वर्षों में करीब 4,000 कंगारुओं को मारा गया है।
सूत्रों के अनुसार पूरे क्षेत्र में स्थित 10 अभयारण्यों को प्रत्येक शाम बंद कर दिया जाएगा ताकि 1901 कंगारुओं को मारा जा सके।
एसीटी सरकार में उद्यान और संरक्षण निदेशक डैनियल लेसियास ने कहा कि एसीटी में कंगारुओं की संख्या नियंत्रित करना आवश्यक हो गया था। उन्होंने कहा हम अच्छी तरह जानते हैं कि इस्टर्न ग्रे कंगारुओं की बहुत ज्यादा संख्या का स्थानीय पर्यावरण पर विध्वंसक प्रभाव हो सकता है।
उन्होंने कहा हम जानते हैं कि इसके कारण हरियाली कम हो सकती है और यदि हमने इसे लंबे समय तक चलने दिया तो कुछ क्षेत्र बिल्कुल बर्बाद हो सकते हैं। लेसियास ने कहा हम कंगारुओं को समाप्त नहीं कर रहे हैं, बल्कि उनकी संख्या को सीमित कर रहे हैं।
इसके अलावा कंगारूओं की संख्या पर नियंत्रण रखने के लिए प्रजनन संबंधी दवाओं की उपयोगिता का परीक्षण भी किया जा रहा है।
लेसियास ने कहा कंगारुओं को मारने का काम सोमवार से शुरू होगा और इसके एक अगस्त को समाप्त होने की संभावना है। एसीटी वार्षिक कंगारू संख्या नियंत्रण के तहत पिछले दो वर्षों में करीब 4,000 कंगारुओं को मारा गया है।
कंगारुओं के लिए प्रसिद्ध है आॅस्ट्रेलिया
कंगारू आॅस्ट्रेलिया की पहचान हैं। पूरे आॅस्ट्रेलिया में बड़ी संख्या में कंगारू पाए जाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक यहां पर कंगारुओं की संख्या करीब सवा तीन करोड़ से उपर है। राष्ट्रीय पहचान के साथ कंगारू वहां अब पर्यावरण के लिए खतरा पैदा हो रहे हैं।
कंगारुओं की बढ़ती संख्या वहां हरियाली को चट कर रही है। इसलिए वहां पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इनकी संख्या को नियंत्रित नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में आॅस्ट्रेलिया में हरियाली समाप्त हो जाएगी। इसलिए वहां की सरकार ने कंगारुओं पर नियंत्रण करने का फैसला किया है।
राजस्थान में रोजड़ों से होती है परेशानी
राजस्थान में बड़ी संख्या में रोजड़े या नीलगाय हैं। ये जंगली जानवरी गांवों में फसलों को चट कर जाते हैं। इस कारण किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। रात्रि के समय नीलगाय के झुंड फसलों पर धावा बोल देते हैं और फसलों को खा जाते हैं।
कंगारू की तरह तेज गति से दौड़ने के कारण ये किसानों की पकड़ में भी नहीं आती। जंगलों में रहने के कारण ये हरियाली को भी नुकसान पहुंचाती हैं।