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इंटरनेट दुरुस्त करने का नायाब आइडिया, 1750 करोड़ में पूरा होगा 7000 करोड़ रुपये का काम

download (39)नगालैंड: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर राज्यों में इंटरनेट कनेक्टिविटी को बेहतर करने के लिए सात हजार करोड़ खर्च करने की बात की है। वहीं इससे उलट वहीं एक अधिकारी ने कम खर्च में ही इस समस्या को दूर करने का हल निकाला है।

नगालैंड के आयुक्त और आईटी सचिव, के.डी. विजो ने एक वैकल्पिक तकनीक सुझाई है, जिसका नाम ‘हाई एल्टिीट्यूड प्लेटफॉर्म स्टेशन’ (एचएपीएस) है। इसे मानवरहित हवाई पोत या एक गुब्बारे से संचालित किया जा सकता है। इंटरनेट कनेक्टिविटी को बेहतर करने के लिए ‘राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क’ (एनओएफएन) के तहत 72,778 करोड़ रुपये की परियोजना में पूर्वोत्तर के लिए 7000 करोड़ रुपये का बजट का निर्धारित किया गया है।

वहीं विगो की इस वैकल्पिक तकनीक में करीब 1,750 करोड़ रुपये की लागत आएगी जोकि 7 हजार करोड़ रुपये के बजट का 25 प्रतिशत है। ‘एनओएफएन’ 200,000 ग्राम पंचायतों को इंटरनेट उपलब्ध कराने की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। इसके जरिए सरकार का इरादा राष्ट्रीय स्तर पर ई-सेवाओं के लिए सक्षम होना है।

इस खास उद्देश्य को क्रियान्वित करने के लिए भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (बीबीएनएल) को कंपनी अधिनियम के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) के रूप में बनाया गया है। विजो ने बताया, ‘पूर्वोत्तर राज्यों के पहाड़ी इलाके में भूमिगत ऑप्टिकल फाइबर समय के साथ नष्ट हो सकता है, क्योंकि पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन और मिट्टी के कटाव आम बात है।’

केडी विजो ने हाल ही में दिल्ली में रिसोर्स पर्सन के रूप में सम्मेलन में हिस्सा लिया था। यहां उन्होंने बताया, ‘पूर्वोत्तर के राज्यों में कनेक्टिविटी की चुनौतियां दूर हो रही हैं, वह भी कम खर्च में।’ उन्होंने जोर देकर कहा, ‘यह क्षेत्र पहली औद्योगिक क्रांति से चूक गया था, लेकिन दूसरी औद्योगिक क्रांति से हमें नहीं चूकना है यह पूरी तरह इंफॉर्मेशन आईटी की होगी।’

पूर्वोत्तर क्षेत्र यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) द्वारा वित्त पोषित (एनओएफएन) परियोजना के तहत 90:10 हिस्सेदारी पाने का हकदार है। विजो ने सरकार से आग्रह किया है कि वह ‘यूएसओएफ’ के तहत उत्तर-पूर्व क्षेत्र को वायरलेस ब्रॉडबैंड से कवर करने के लिए दो तंत्रों की स्थापना के लिए छोटा बजट निर्धारित करे। विजो ने कहा, ‘पूर्वोत्तर आईटी के रूप में विकसित करने के लिए वायरलेस और उपग्रह प्रौद्योगिकी पर अधिक देना चाहिए। यह तेजी से स्थापित होने के साथ ही इस दुर्गम क्षेत्र के लिए अधिक उपयुक्त हो सकता है।’

 

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