उत्तर प्रदेश

इकलौते बेटे को सुधरने के लिए भेजा नशा मुक्ति केंद्र, वहां से आई उसकी लाश

0 लाश देखकर पथरा गई रूबीना की आंखे, नहीं निकले आंखों से आंसू
0 कब्र खोदकर शव भेजा पोस्टमार्टम के लिए 0 प्रताडना का आरोप

मेरठ : इकलौते बेटे के खोने का दुख क्या होता है यह इलियास से बेहतर कोई नहीं जानता जिसने अपना इकलौता बेटे को खो दिया। उसका इकलौता बेटा आदिल एक साल पहले नशे का आदी हो चुका था। आदिल अपने घर का इकलौता चिरांग था। उसकी मां रूबीना और बाप इलियास लाख कोशिश की कि वह नशे की लत से बाहर निकले लेकिन आदिल नहीं सुधरा। मां रूबीना ने कलेजे पर पत्थर रखकर बेटे को नशा मुक्ति केंद्र में दाखिले के लिए भेज दिया। उम्मीद थी वहां से उनके घर का चिराग सुधरकर आएंगा। लेकिन नशा मुक्ति केंद्र से आदिल का शव आया तो इलियास और रूबीना पर दुखों का पहाड टूट पडा। अब वो उस समय को कोस रहे हैं जब उन्होंने आदिल को नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करने के लिए भेजा था।

नशा मुक्ति केंद्र में दम तोडने वाले युवक आदिल का शव पुलिस ने उसकी कब्र खोदकर निकाला और उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। आदिल के परिजनों का आरोप था कि उनके पुत्र की हत्या की गई है। बताते चले कि करीब तीन माह पूर्व नशे का आदी हो चले युवक आदिल को उसके परिजनों ने उसकी हरकतों से तंग आकर पिलखुवा स्थित एक नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करा दिया था। परिजनों का आरोप है कि जब से उसे भर्ती कराया गया था तब से युवक को उनसे मिलने नहीं दिया जाता था। एक बार मौका लगने पर युवक ने अपने परिजनों को फोन कर जानकारी दी थी कि उसको यातनाएं दी जाती हैं और उसके साथ गलत हरकत भी की जाती है। लेकिन परिजनों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। मकान नंबर 590 शास्त्री नगर सेक्टर 11 निवासी इलियास मिस्त्री वैल्डिंग का काम करता है। उसका बेटा आदिल भी उसके साथ काम में हाथ बटाता था। इलियास के मुताबिक इधर एक साल से आदिल नशे का आदी हो गया था। जिसके चलते वह घर का सामान भी बेचकर नशा करने के लिए पैसा एकत्र करता था। वह बाहर और रिश्तेदारों से भी उधार मांगकर नशा करता था।

परिजन जब काफी परेशान हो गए तो उन्होंने उसे पिलखुवा स्थित एक नशा मुक्ति केद्र में भर्ती करा दिया। जहां पर आदिल को तीन महीने रखकर नशा छुडाने की बात कही गई थी। लेकिन कुछ दिन बाद ही आदिल ने घर फोन कर बताया कि उसको वहां पर प्रताडित किया जा रहा है और उसके साथ गलत काम किया जाता है। परिजनों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। लेकिन कुछ दिन बाद नशा मुक्ति केंद्र से फोन आया कि आदिल की मौत हो गई है। बेटे की मौत की खबर सुनकर इलियास बदहवास पिलखुवा स्थित नशा मुक्ति केंद्र पहुंंचे। जहां पर नशा मुक्ति केंद्र के संचालक ने कुछ कागजों पर उनसे साइन करवाकर बेटे की लाश उनके सुपुर्द कर दी। इलियान ने इसकी शिकायत पिलखुवा थाने को की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने बेटे की लाश को सुपुर्द ए खाक कर दिया। इसके बाद उन्होंने एक प्रार्थना पत्र कमिश्नर प्रभात कुमार को लिखा जिस पर कमिश्नर ने लाश को निकालकर पोस्टमार्टम कराने के आदेश दिए। एसीएम द्वितीय गुलशन कुमार ने जांच करते हुए आदिल के शव को कब्र से निकलवाकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

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