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इतिहास रचकर रोने लगी मेरीकॉम, देश को समर्पित किया छठा गोल्ड

भारतीय सुपरस्टार एमसी मेरीकॉम (48 किग्रा) ने अपने अनुभव के बूते शनिवार को केडी जाधव हॉल में दसवीं महिला विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप के फाइनल में यूक्रेन की युवा हन्ना ओखोटा को 5-0 से पस्त कर रिकॉर्ड छठा स्वर्ण पदक अपनी झोली में डाला.

‘मैग्नीफिशेंट मेरी’ ने इस तरह क्यूबा के महान पुरुष मुक्केबाज फेलिक्स सेवॉन की बराबरी कर ली, जो विश्व चैम्पियनशिप में छह खिताब जीत चुके हैं. इससे पहले वह आयरलैंड की केटी टेलर के साथ बराबरी पर थीं, जो पांच बार विश्व चैम्पियन रह चुकी हैं. मेरीकॉम ने खचाखच भरे स्टेडियम में घरेलू दर्शकों के सामने दूसरा स्वर्ण पदक हासिल किया. यह उनका विश्व चैम्पियनशिप में सातवां पदक है, इससे पहले वह पांच स्वर्ण और एक रजत जीत चुकी थीं.

मुकाबला जीतने के बाद मेरीकॉम काफी भावुक हो गईं और खुशी की वजह से उनके आंसू थम नहीं रहे थे. उन्होंने इस पदक को देश को समर्पित किया. लंदन ओलंपिक की कांस्य पदकधारी मेरीकॉम को निश्चित रूप से अपार अनुभव का फायदा मिला. उन्होंने कोच की रणनीति के अनुसार खेलते हुए लाइट फ्लाईवेट फाइनल में अपने से 13 साल छोटी हन्ना को मात दी, जो युवा यूरोपीय चैम्पियनशिप की कांस्य पदक विजेता हैं.

मेरीकॉम ने हाल में सितंबर में पोलैंड में हुई सिलेसियान मुक्केबाजी चैम्पियनशिप के सेमीफाइनल में यूक्रेन की इस मुक्केबाज को हराकर फाइनल में प्रवेश कर स्वर्ण पदक हासिल किया था. मणिपुर की इस मुक्केबाज ने अपने सटीक और ताकतवर मुक्कों की बदौलत पांचों जज से 30-27, 29-28, 29-28, 30-27, 30-27 अंक हासिल किए.

स्टेडियम में बैठा हर व्यक्ति इस दौरान 35 साल की मेरीकॉम का उत्साह बढ़ा रहा था. मुकाबले के पहले राउंड में मेरीकॉम ने दाएं हाथ से सीधा तेज पंच लगाकर शुरुआत की. इसके बाद उन्होंने विपक्षी खिलाड़ी को जरा भी मौका नहीं दिया और बीच-बीच में तेजी से मुक्के जड़ते हुए पांचों जज से पूरे अंक हासिल किए.

इस दौरान दोनों एक-दूसरे के ऊपर गिर भी गई थीं. दूसरे राउंड में कोच की सलाह के बाद हन्ना ने आक्रामक होने की पूरी कोशिश की, पर पांच बार की विश्व चैम्पियन के सामने उनकी एक नहीं चली. हालांकि इसमें यूक्रेन की मुक्केबाज ने दाएं हाथ से लगाए गए शानदार मुक्कों से कुछ बेहतरीन अंक जुटाए, लेकिन वह मेरीकॉम से आगे नहीं निकल सकीं.

मेरीकॉम ने अपनी चिर परिचित शैली में खेलते हुए जानदार पंच से विपक्षी का हौसला पस्त करना जारी रखा. जो तीसरे राउंड में भी जारी रहा. इसमें भी भारतीय मुक्केबाज का जलवा कायम रहा, उन्होंने दबदबा जारी रखते हुए तेजी से कई पंच विपक्षी मुक्केबाज के मुंह पर जमा दिए. ऐसा दिख रहा था कि विपक्षी मुक्केबाज उनके सामने निरुत्तर थी.

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