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इधर एशिया कप जीत कर मालामाल हुए खिलाडी, उधर वर्ल्ड कप जितने के बाद भी टीम का हीरो चरा रहा है भैंस …..

इस बात से तो आप सभी अवगत ही होगें कि जीवन में परिवर्तन निरंतर होते रहते है इसमें कोई दो रॉय नही है पर कुछ लोगों के जीवन में ऐसे ऐसे परिवर्तन हुये कि वह समझ ही नही पाया कि आखिर यह अचानक हो क्‍या गया। आपको बता दें कि इधर एशिया क‍प फाइनल की जीत इंडियन टीम हुई मालामाल, तो उधर 1998 विश्‍वकप जीत का हीरो भैंस चराने पर है मजबूर, नाम जानकर आप एक सोच में पड़ जायेगें।
इधर एशिया कप जीत कर मालामाल हुए खिलाडी, उधर वर्ल्ड कप जितने के बाद भी टीम का हीरो चरा रहा है भैंस …..

दरअसल जहां एशिया का जीत कर इंडियन के खिलाड़ी मालामाल हो गये है तो वहीं ऐ ऐसा भी सख्‍श है जो आज भी गुमनामी की जिंदगी जीने पर मजबूर है, आपको बता दें कि पहले की अपेक्षा आज के समय में टीम के खिलाड़ियों पर बेशुमार पैसो की बारिश हो रही है तो वहीं एक ऐसा भी भारतीय खिलाड़ी भी रहा है, जिसने भारत के लिए वर्ष 1998 के हुए विश्व कप में शानदार प्रदर्शन कर भारत को जीत दिलाई थी बल्कि वह मैन ऑफ द टूर्नामेंट भी बना था। दुर्भाग्य की बात है कि इस खिलाड़ी की वर्तमान आर्थिक स्थिति काफी दयनीय है। जबकि इस खिलाड़ी ने कुल 8 अंतराष्‍ट्रीय क्रिकेट मैंच खेले थे, इस समय सरकार और क्रिकेट जगत को उनकी सहायता के लिए आगे आना चाहिए था, पर ऐसा नहीं हुआ। इतना ही नही इस खिलाड़ी को विकलांग सहायता कोष से भी कोई मदद मिली है।

आपकी जानकारी के लिये बता दे कि आज जिस खिलाड़ी की बात की जा रही है उनका नाम भालाजी डामोर जो वर्ष 1998 में खेले गये दृष्टिबाधित विश्‍वकप में भारत की टीम को सेमीफाइनल तक पंहुचाने वाले और जीत के असली हीरो रहे चुके है। आपको बता दे कि यह एक ऐसा खिलाड़ी है, जो एक गरीब किसान परिवार से विलांग करता है, इस खिलाड़ी की मौजूदा हालात बहुत ही दयनीय हो गई है। एक समय वो था, जब भारतीय क्रिकेटर खिलाडि़यों के पास क्रिकेट खेलने से पैसे नही आते थे, पहले के समय में क्रिकेट खेलने का मुख्‍य उदेश्‍य अपनी शान बढाना था और कुछ भी नही।

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