लखनऊ

इन्दिरा आवास योजना के तहत मिले 35 हजार  

43 लाभार्थी अपात्र पाये जाने पर प्रथम किस्त की वसूली
लखनऊ : सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत रामपुर निवासी रिफाकत अली ने मुख्य विकास अधिकारी, रामपुर को आवेदन-पत्र देकर कुछ बिन्दुओं की जानकारी चाही थी कि प्रार्थी द्वारा दिये गये प्रार्थना-पत्र पर जांच किस अधिकारी द्वारा की जा रही है, ग्राम पंचाायत टाह कला के पूर्व व वर्तमान ग्राम प्रधान द्वारा सरकारी आवासों (इन्दिरा आवास) का पैसा हड़पने व धांधली के सम्बन्ध में उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने का अनुरोध किया था, मगर उक्त के सम्बन्ध में सही जानकारी नहीं मिल पायी है, जिसकी शिकायत समक्ष अधिकारियों तक की गयी, परन्तु सम्बन्धित विभाग द्वारा इस सम्बन्ध में कोई जानकारी नहीं दी गयी, अधिनियम के तहत सूचना न मिलने पर वादी ने राज्य सूचना आयोग में अपील दाखिल कर प्रकरण की जानकारी चाही है।
राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने मुख्य विकास अधिकारी, रामपुर को सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 20 (1) के तहत नोटिस जारी कर आदेशित किया कि वादी के प्रार्थना-पत्र में उठाये गये समस्त बिन्दुओं की सभी सूचनाएं अगले 30 दिन के अन्दर अनिवार्य रूप से वादी को उपलब्ध कराते हुए, आयोग को अवगत कराये, अन्यथा जनसूचना अधिकारी स्पष्टीकरण देंगे कि वादी को सूचना क्यों नहीं दी गयी है, क्यों न उनके विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जाये।
मुख्य विकास अधिकारी, रामपुर से मोहम्मद मोहसिन सुनवाई के दौरान उपस्थित हुए, उनके द्वारा बताया गया है कि उक्त शिकायत की जांच के लिए समिति का गठन किया गया, पायी गयी गम्भीर अनियमितताओं की जिला बचत अधिकारी एवं विकलांग कल्याण अधिकारी द्वारा जांच की गयी, उनकी आख्या के अनुसार ग्राम पंचायत टाहकला की बीपीएल सूची में कुल 117 परिवारों के नाम अंकित है, 55 स्पिलिट परिवारों एवं 14 मुखिया परिवारों को लाभान्वित किये जाने हेतु ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा प्रस्ताव तैयार कर खण्ड विकास अधिकारी स्वार को उपलब्ध कराया गया। डीआरडीए से स्वीकृति के उपरान्त ब्लाॅक आंकिक के स्तर से एफटीओ जनरेट कर धनराशि जारी कर दी गयी, किन्तु 55 स्पिलिट परिवारों का पटल सहायक द्वारा गहन परीक्षण करने पर यह तथ्य प्रकाश में आया कि उक्त स्पिलिट परिवारों के मुखिया के नाम तो बीपीएल सूची में अंकित है, किन्तु स्पिलिट किये गये परिवार का नाम फैमिली आईडी में नहीं पाया गया। चूंकि इन्दिरा आवास योजनान्तर्गत स्पिलिट किये गये परिवार का नाम होना आवयक है। इस सम्बन्ध में पटल सहायक के द्वारा खण्ड विकास अधिकारी को अवगत कराया गया, तत्पश्चात खण्ड विकास अधिकारी ने अपने कार्यालय के पत्र द्वारा उक्त लाभार्थियों के खाते में धनराशि आहरित करने पर रोक लगाते हुए, बैंक को अपने कार्यालय के पत्र द्वारा स्पिलिट परिवारों के नाम फैमिली आईडी में न पाये जाने के कारण कुल 43 लाभार्थियों की धनराशि  35,000 प्रति लाभार्थी की दर से लाभार्थियों से वापस प्राप्त कर अंकन धनराशि कुल  15,05,000 (पन्द्रह लाख, पाॅच हजार) (43 व्यक्तियों के खाते में जारी प्रथम किस्त कुल 15,05,000 ) उक्त धनराशि आयुक्त ग्राम्य विकास उप्र, लखनऊ के पक्ष में जमा करा दी गयी है, इस आशय की जानकारी प्रतिवादी ने आयोग को दी है।
उपरोेक्त के क्रम में इन्दिरा आवास योजनान्तर्गत ग्राम टाहकलां में 21 लाभार्थियों के चयन गलत/संदिग्ध प्रतीत होता है, जिसके लिये चयनकर्ता एवं पटल सहायक विकास खण्ड स्वार पूर्णरूप से उत्तरदायी है, स्थलीय सत्यापन समिति द्वारा किया गया, जिसमें नाजरीन, नाजमा, गुडिया, शमीम, शब्बो, नन्हीं, रेखा, माया देवी, तस्करी, शबनम, खातूत, सैतून बेगम, बन्नी, नसीम, हाजरा, खैरूलनिशा, खातून, सूरजदेवी, संतोष देवी, किश्वरी, मिसकीन के नाम हैं, साथ ही प्रतिवादी ने  आयोग को बताया कि उक्त कार्यवाही के लिए अतिरिक्त समय दे दिया जाये, तद्नुसार प्रतिवादी को समय दिया जाता है। प्रतिवादी को निदेर्शित किया जाता है कि अगली तिथि 31 मई तक उक्त प्रकरण में कार्यवाही कर आयोग को समस्त अभिलेखों सहित अवगत कराये, अन्यथा क्यों न उनके विरूद्ध सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 20 (1) के तहत दण्डात्मक एवं धारा 19 (8)(ख) के तहत क्षतिपूर्ति का आदेश पारित कर दिया जाये।

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