स्वास्थ्य

इन आयुर्वेदिक उपायों से लिवर को रखिए फिट, ताकि न भागना पड़े डॉक्टर के पास बार-बार

दस्तक टाइम्स/एजेंसी- liver00-1447490529हेपेटाइटिस में व्यक्ति का लिवर  (यकृत) ठोस हो जाता है जिससे पेट संबंधी कई परेशानियां होने लगती हैं। गंभीरता से न लेने पर यह बीमारी जानलेवा भी हो सकती है। आइए जानते हैं इसके लिए कारगर कुछ आयुर्वेदिक उपायों के बारे में।गिलोय का 20 मिलिलीटर रस, आंवले व ग्वारपाठे का 10-10 मिलिलीटर रस मिलाकर दिन में दो बार लेने से पाचनक्रिया व पेशाब संबंधी रोगों में लाभ होता है।

पुनर्नवा, रोहेड़ा की छाल, गोखरू, मकोय, डाब की जड़, इक्षुमूल व दारूहरिद्रा को रात में पानी में भिगो दें। सुबह छानकर 15-20 मिलिलीटर खाली पेट पीने से लिवर संबंधी समस्याओं में आराम मिलता है।

मकोय के पत्ते, सफेद पुनर्नवा में हल्दी, काली मिर्च, धनिया व हल्का सेंधा नमक मिलाकर सब्जी बनाकर लेेने से लिवर की कठोरता व सूजन में लाभ होगा। 15 मिलिलीटर ताजा गिलोय के रस में 20-25 किशमिश कूटकर मिलाएं। इससे उल्टी, पेट में जलन की समस्या में आराम मिलता है।

मूली के पत्ते, चुकंदर के पत्ते व पालक (तीनों 250 ग्राम मात्रा में) या दानामेथी के पत्तों के रस में 50 ग्राम चीनी व एक च मच नमक मिलाएं। इसे हेपेटाइटिस की पहली स्टेज व  रोग ठीक होने के बाद दें। इससे खून की कमी दूर होती है।

मूली के ताजे पत्ते खून व लिवर से अधिक बिलरुबीन (तरल जिसे लिवर बनाता है) निकालने में सक्षम होते हैं। इसके पत्तों को पीसकर 15-20 मिलिलीटर रस दिन में दो बार लेने से पाचनक्रिया में सुधार होता है।

कुटकी, चिरायता, सौंफ, इलाइची व सोंठ को एक चौथाई च मच सभी समान मात्रा में लेकर दो च मच पानी मिलाएं व हल्का गुनगुना करें। इस पेस्ट को शहद में मिलाकर खाने से पाचनक्रिया दुरुस्त होगी।

तुलसी की पत्तियों के एक च मच पेस्ट को 200 मिलिलीटर मूली के पत्तों के रस में मिलाकर पीना ाी इस रोग में लाभकारी है

 

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