इन जगहों पर रखें श्राद्ध का भोजन तब जाकर मिलेगी पितरों को मुक्ति…
इन पांच स्थानों पर रखे श्राद्ध का आहार मिलेगी पितरो को मुक्ति !
श्राद्ध न करने वाले दलील देते हैं कि जो मर गया है उसके निमित्त कुछ करने का औचित्य नहीं है यह ठीक नहीं है, क्योंकि संकल्प से किए गए कर्म जीव चाहे जिस योनि में हो, उस तक पहुंचता है तथा वह तृप्त होता है। यहां तक कि ब्रह्मा से लेकर घास तक तृप्त होते हैं।
श्राद्ध करने का सर्वप्रथम अधिकार पुत्र को होता है इसके बाद उसका कोई भी फैमिली मेंबर श्राद्ध कर सकता है।
इन पांच स्थानों पर रखिए श्राद्ध का आहार
प्रथम गौ बलि- घर से पश्चिम दिशा में गाय को महुआ या पलाश के पत्तों पर गाय को भोजन कराया जाता है तथा गाय को ‘गौभ्यो नम:’ कहकर प्रणाम किया जाता है गौ देशी होना चाहिए।
द्वितीय श्वान बलि- पत्ते पर भोजन रखकर कुत्ते को भोजन कराया जाता है।
तृतीय काक बलि- कौओं को छत पर या भूमि पर रखकर उनको बुलाया जाता है जिससे वे भोजन करें।
चतुर्थ देवादि बलि- पत्तों पर देवताओं को बलि घर में दी जाती है। बाद में वह उठाकर घर से बाहर रख दी जाती है।
पंचम पिपलिकादि बलि- चींटी, कीड़े-मकौड़ों आदि के लिए जहां उनके बिल हों, वहां चूरा कर भोजन डाला जाता है।