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इन दो बुरी आदतों के कारण व्यक्ति इस लोक के साथ परलोक में भी भोगता है दुख
मनुष्य को अपने धर्म और समाज की भाषा का हमेशा आदर देना चाहिए। असत्य और निंदा के समान कोई पाप नहीं हो सकता है। इसलिए जीवन में कभी भी असत्य पर नहीं चलना चाहिए। जिस प्रकार हर रोज वस्त्र बदलते हैं ताकि शरीर और पहनावा दोनों स्वच्छ दिखें, वैसे ही विचारों को भी शुद्ध रखना चाहिए।
झूठ बोलना बुरी आदत तो है ही, साथ ही ये पाप का भागी भी बनाता है। झूठ बोलने वाला स्वयं के हित को ध्यान में रखते हुए झूठ बोलता है लेकिन भविष्य में उसे दु:खों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए कभी भी झूठ का सहारा नहीं लेना चाहिए।
गीता के अनुसार मनुष्य को बासी, दूषित और मन को विचलित करने वाले आहार से बचना चाहिए। इसलिए पवित्र भोजन ग्रहण करें। शास्त्रों में किसी का जूठा खाने पर भी प्रतिबंध है। जिसके कारण तन और मन पर बहुत सारे दुष्प्रभाव पड़ते हैं।
किसी का झूठा खाने पर सुखों में कमी आती है, घर-परिवार में कलह बढ़ती है, धन संचय नहीं हो पाता, भोग-विलासिता में कमी आती है, साथ ही जिसका जूठा खाते हैं उसके अशुद्ध विचार मन में घर कर जाते हैं।