इमरान सरकार ने गिलगित-बाल्टिस्तान के कानूनी मसौदा को दिया अंतिम रूप दे
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर प्रदेश कई भागों में बंटा हुआ है। मौजूदा वक्त में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का क्षेत्र भारत के पास है लेकिन पाकिस्तान और चीन ने भी जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों पर कब्ज़ा किया हुआ है। पाकिस्तान ने कब्ज़े वाले इलाके को दो भागों में बांट रखा है। आज़ाद कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान। शक्सगम वैली भी कभी पाकिस्तान के कब्ज़े में था लेकिन बाद में पाकिस्तान ने चीन को यह घाटी ‘गिफ्ट’ के तौर पर दे दी थी। अभी गिलगित और बाल्टिस्तान क्षेत्र की बात करेंगे और जानने कि कोशिश करेंगे कि यह इलाका दोनों देशों के लिए क्यों बेहद महत्वपूर्ण है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक इमरान सरकार ने गिलगित-बाल्टिस्तान को देश के एक प्रदेश के रूप में शामिल करने के लिए कानूनी मसौदा को अंतिम रूप दे दिया है। बता दें कि 2009 से पहले तक गिलगित-बाल्टिस्तान को नॉर्दर्न एरियाज़ के रूप में जाना जाता था। भारत कहता रहा है कि गिलगित-बाल्टिस्तान, जम्मू-कश्मीर का भाग है जो कि भारत का अभिन्न अंग है।
पाकिस्तान द्वारा अवैध कब्ज़े वाले क्षेत्र में पाक अधिकृत कश्मीर पूरे क्षेत्र का सिर्फ 15 फीसद है और बाकी का 85 फीसद भाग गिलगित-बाल्टिस्तान। चीन-पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर को लेकर इस क्षेत्र का सामरिक महत्व और भी बढ़ गया है। चीन बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव पर भारी खर्च कर रहा है। इसी कड़ी में गिलगित-बाल्टिस्तान में भी भारी निवेश कर रहा है।
26 अक्टूबर 1947 से पहले गिलगित जम्मू और कश्मीर रियासत का भाग रहा। यह सीधे अंग्रेजों द्वारा शासित था जिसे मुस्लिम बहुल राज्य के हिंदू राजा हरि सिंह से पट्टे पर लिया था। जब हरि सिंह भारत में शामिल हुए तो गिलगित स्कॉट्स ने विद्रोह कर दिया। गिलगित स्काउट्स ने बाल्टिस्तान पर भी कब्जा कर लिया, जो उस वक्त लद्दाख का हिस्सा था। इसके साथ ही स्कार्दू, कारगिल और द्रास पर कब्जा कर लिया। बाद की लड़ाई में भारतीय सेना ने अगस्त 1948 में कारगिल और द्रास को वापस ले लिया।
इससे पहले गिलगित-बाल्टिस्तान की क्रांतिकारी परिषद नाम की एक राजनीतिक संगठन ने गिलगित-बाल्टिस्तान की आजादी की घोषणा की थी। लेकिन नवंबर में इस संगठन ने कहा कि हम पाकिस्तान में शामिल हो रहे। शर्त थी कि गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र पर गिलगित-बाल्टिस्तान का नियंत्रण रहे। 1 जनवरी 1949 को भारत-पाकिस्तान युद्ध विराम के बाद उसी साल अप्रैल में पाकिस्तान ने आजाद जम्मू और कश्मीर सरकार से स्वायत्तता के वादे पर अपने में मिलाया और गिलगित-बाल्टिस्तान को भी पाकिस्तान को सौंप दिया।
1974 में जब पाकिस्तान ने 4 प्रांत बनाए
पाकिस्तान ने 1974 में पूर्ण नागरिक संविधान की बहाली की। इसमें पंजाब, सिंध, बलोचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा प्रांत थे। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान को प्रांत के तौर पर नहीं शामिल किया गया। क्यों? क्योंकि पाकिस्तान नहीं चाहता था कि इन प्रांतों को जबरन शामिल करके कश्मीर मसले पर अपने पक्ष को कमज़ोर करे। पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़ जनमत संग्रह के जरिए कश्मीर मसले का समाधान चाहता था। लेकिन एक सच यह भी है कि पाकिस्तान ने कभी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से सेना नहीं हटाई जो कि समाधान की दिशा में पहली शर्त थी।