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इशरत मामले में मोदी को फंसाने की रची गई थी साजिश: राजनाथ
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) पर इशरत जहां मामले में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को फंसाने के लिए गहरी साजिश रचने का आरोप लगाते हुए गुरुवार को कहा कि उनका मंत्रालय इस मामले की आंतरिक जांच करा रहा है और पूरी छानबीन के बाद ही आगे की कार्रवाई के बारे में निर्णय लिया जाएगा।
लोकसभा में इशरत जहां मामले में हलफनामे में कथित फेरबदल के बारे में भाजपा के निशिकांत दुबे तथा कुछ अन्य सदस्यों के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा के बाद राजनाथ ने कहा कि वह सदन और देश को आश्वस्त करना चाहते हैं कि उनकी सरकार आतंकवाद के नाम पर राजनीति नहीं करेगी और आतंकवाद से कड़ाई से निपटेगी। पिछली सरकार ने आतंकवाद को मजहबी रंग देने की कोशिश की थी और तत्कालीन गृह मंत्री ने भगवा आतंकवाद की बात कही थी। उन्होंने कहा कि ‘अवसरवादी धर्मनिरपेक्षता‘ को देश कभी स्वीकार नहीं कर सकता।
कांग्रेस के सदस्यों के भारी हंगामे के बीच राजनाथ ने कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर कभी भी राजनीति नहीं होनी चाहिए लेकिन मुझे यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि इशरत जहां मामले में पिछली सरकार ने ढुलमुल रवैया अपनाया था। पहले हलफनामे में इशरत को लश्कर-ए-तैयबा की सदस्य बताया गया और फिर एक महीने बाद ही इसे बदल दिया गया।
दूसरे हलफनामे में इस तथ्य को कमजोर करने की कोशिश की गई कि इशरत लश्कर की सदस्य थी। कहा गया कि आईबी की रिपोर्ट निर्णायक सबूत नहीं है। यह गुजरात की तत्कालीन सरकार और मुख्यमंत्री को फंसाने की गहरी साजिश थी।
गृहमंत्री ने कहा कि इशरत जहां मामले में तत्कालीन एटॉर्नी जनरल के दो पत्र भी गायब हैं और तत्कालीन गृहमंत्री द्वारा हलफनामे में किए गए बदलाव की कॉपी भी उपलब्ध नहीं है। मुंबई हमलों के आरोपी और पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकवादी डेविड हेडली ने वर्ष 2013 में एनआईए के समक्ष जो बयान दिया था उसे सीबीआई को उपलब्ध नहीं कराया गया।
उन्होंने कहा कि इस तरह के कई प्रश्नों पर छानबीन की जरूरत है। उनका मंत्रालय इस मामले की आतंरिक जांच कर रहा है और सोचसमझकर ही इस पर आगे की कार्रवाई के लिए कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा।