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इसरो से कम कीमत में सैटेलाइट लॉन्‍च का ताज छीन सकता है SpaceX

isrospace_16_05_2016बेंगलुरु। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की कम लागत वाली वाणिज्यिक विदेशी उपग्रह प्रक्षेपण सेवाओं को एलोन मस्क के स्‍पेस एक्‍सप्‍लोरेशन टेक्‍नोलॉजीस कॉर्पोरेशन (SpaceX) से झटका लग सकता है। SpaceX के फाल्कन 9 सीरीज के फ्लाई बैक रॉकेट इसरो को चुनौती देने के लिए तैयार हैं।

कैलिफोर्निया के हैथ्रॉन में SpaceX का मुख्‍यालय है। उसने पूर्व निर्धारित जगह पर सैटेलाइट के लॉन्‍च करने के पहले चरण के बाद अपने रॉकेट के सॉफ्ट लैंडिंग की टेक्‍नोलॉजी विकसित की है। इस रॉकेट में फिर से ईंधन भरने और उसकी रीअसेंबलिंग (दोबारा इस्‍तेमाल में लाने के लिए तैयारी करने) करने के बाद इसे पहले अभियान के कुछ ही घंटों के बाद उपयोग में लाया जा सकता है।

बेंगलुरू में मुख्यालय वाले इसरो और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा किए जाने वाले पारंपरिक लॉन्‍च के बाद नया लॉन्‍चर बनाने में न सिर्फ लागत अधिक आती है, बल्कि अलगे लॉन्‍च के लिए इसमें अधिक समय भी लगता है।

मस्‍क और अन्‍य स्‍पेस विशेषज्ञों के अनुसार, SpaceX का कॉन्‍सेप्‍ट स्‍पेस फ्लाइट की लागत को काफी कम कर सकता है। इसका सफलतापूर्वक परीक्षण भी किया जा चुका है। ऐसे में SpaceX कंपनी कम कीमत में सैटेलाइट लॉन्‍च करने वाला नया गेम चेंजर बन सकती है।

पीएसएलवी रॉकेट्स के जरिये 100 फीसद सफल विदेशी सैटेलाइट्स को लॉन्‍च करने के बाद इसरो की लोकप्रियता बढ़ी थी। यह अन्‍य विदेशी एजेंसियों जैसे एरिएनस्‍पेस (Arianespace) की तुलना में महज 60 फीसद राशि ही लेती है। मई 1999 के बाद से इसरो अब तक 20 देशों के 57 अंतरराष्‍ट्रीय कस्‍टमर सैटेलाइट लॉन्‍च कर चुका है।

 
 

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