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इसलिए सेना के मुकाबले CRPF और BSF को मिलती है कम पेंशन

देश की सुरक्षा की जब भी बात होती है तो सीआरपीएफ, बीएसफ और आईटीबीपी का जिक्र जरूर होता है. ये सुरक्षा बल सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हमेशा देश की सुरक्षा के लिए तत्‍पर रहते हैं. वहीं वीआईपी सिक्योरिटी में भी मुख्य तौर पर अर्धसैनिक बलों के जवान ही होते हैं. लेकिन सुविधाओं के नाम पर जो सहूलियतें भारतीय सेना को मिलती हैं, वैसी सुविधाएं अर्धसैनिक बलों को नहीं मिलतीं. वहीं पेंशन भी उन्‍हें सेना के जवानों की तरह नहीं मिलती है. इसी पेंशन की मांग को लेकर 3 मार्च को अर्धसैनिक बल के रिटायर्ड जवान दिल्‍ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने वाले हैं. लेकिन सवाल है कि आखिर क्‍यों अर्धसैनिक बलों को सेना की तरह सुविधाएं नहीं दी जाती हैं.  

क्‍यों नहीं मिलती है सुविधा

वैसे तो सरकारों की ओर से कभी आधिकारिक तौर पर सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच के अंतर की वजह नहीं बताई गई है लेकिन सांकेतिक तौर पर यह जरूर कहा गया है कि अर्धसैनिक बल के जवानों के मुकाबले सेना की कार्यप्रणाली चुनौतियों से भरी होती है. उनके चयन से लेकर काम करने के तरीके तक की प्रक्रिया बेहद सख्‍त होती है. यही वजह है कि सेना को अर्धसैनिक बलों के मुकाबले ज्‍यादा सुविधाएं दी जाती हैं. इस तर्क को अर्धसैनिक बल के जवान भी मानते हैं. अर्धसैनिक बल के रिटायर्ड जवानों का भी कहना है कि सेना देश की नंबर एक फोर्स है लेकिन अर्धसैनिक बलों की मांगों पर भी गौर करना चाहिए.. उनके पास बेहतर गुणवत्ता का प्रशिक्षण है और वे हमसे बेहतर हैं लेकिन अर्धसैनिक बल भी अपना अधिकार चाहते हैं.

क्‍या है सेना और अर्धसैनिक बलों की सुविधा में अंतर

सेना और अर्धसैनिक बलों की सुविधा में सबसे बड़ा अंतर पेंशन का है. दरअसल, सेना को पुरानी पेंशन योजना के तहत पेंशन मिलती है जबकि 1 जनवरी 2004 से अर्धसैनिक बलों को नेशनल पेंशन स्‍कीम के तहत पेंशन दी जाती है. पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी को अपने वेतन से कुछ नहीं देना होता था. वहीं जवानों को रिटायरमेंट के बाद अंतिम माह में मिले वेतन का करीब 50 फीसदी पेंशन के रूप में मिलने लगता था. जबकि नेशनल पेंशन स्‍कीम में अर्धसैनिक बल का जवान 10 फीसदी सहयोग देता है तो वहीं सरकार अब 14 फीसदी का योगदान देती है.

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