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इस एक गलती से देश को मिले संसद अटैक, पठानकोट और उरी जैसे जख्म

u11474350646_bigजम्मू कश्मीर के उरी में भारतीय आर्मी बेस पर हुए आतंकी हमले में अब तक 20 सैनिकों के शहीद होने की खबर है। अभी तक मिले सबूतों के मुताबिक इस हमले के पीछे आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद का हाथ है। जैश ही वो आतंकी संगठन है जिसने 3 जनवरी को पठानकोट पर हुए आतंकी हमले को अंजाम दिया था। आप शायद नहीं जानते लेकिन भारत की एक छोटी सी गलती या मजबूरी के चलते ही जैश अस्तित्व में आया और पठानकोट और उरी जैसी जगहों पर भारतीय सेना को इसका नुकसान उठाना पड़ रहा है। 

कंधार विमान अपहरण से शुरू हुआ सफ़र
ये बात साल 1999 की है जब 24 दिसंबर की सुबह भारतीय विमान आईसी-814 को हरकत उल मुजाहिदीन के आतंकियों ने हाइजैक कर लिया और अफगानिस्तान के कंधार ले गए। फ्लाइट 814 (कॉल साइन आईसी-814) त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (काठमांडू, नेपाल) से इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा जाने वाली एक इंडियन एयरलाइंस एयरबस ए300 थी जिसका अपहरण कर लिया गया था। प्लेन के यात्रियों के बदले आतंकियों ने मुश्ताक अहमद जरगर, अहमद उमर सईद शेख और मौलाना मसूद अजहर को रिहा करने की मांग रखी। इन्हें रिहा करने के बाद ही हाइजैक प्लेन के यात्रियों को सुरक्षित बचाया जा सका। हालांकि फिर भी आतंकियों ने 176 यात्रियों में से 27 को दुबई में छोड़ दिया और एक को बुरी तरह चाकू से मारकर गंभीर रूप से घायल कर दिया जबकि कई के साथ मारपीट भी की थी। यात्रियों एवं चालक दल के सदस्यों की रिहाई के बदले ही तत्कालीनअटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने मसूद अजहर समेत तीन आतंकियों को रिहा किया था। 

यहीं से शुरू हुआ जैश के आतंक का सिलसिला
भारत से रिहा होने के बाद साल 2000 में मौलाना मसूद अजहर ने आतंकी अंग्थान जैश-ए-मोहम्मद का गठन किया। साल 2001 में भारतीय संसद पर हमले में भी मसूद अजहर की भूमिका के सबूत मिले। जैश के आतंकियों ने कश्मीर में हथियारबंद अलगाववादी आंदोलन को अपना पूरा समर्थन दिया हुआ है। आतंक का ये सिलसिला आज पठानकोट और उरी तक भी पहुंच चुका है। रक्षा जानकारों का मानना है कि भारत के उस एक कदम का उसे जैश ए मोहम्मद के रूप में काफी नुक्सान उठाना पड़ा है। 

 
 

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