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इस कुंड में नहाने ये दूर होता है कुष्‍ठ रोग, पढ़ें-क्‍या है इसके पीछे की कहानी

leprosy-endगुमला. झारखंड गुमला जिले के रायडीह प्रखंड से होकर बहने वाली शंख नदी के हीरादाह पर्यटन स्थल पर मौजूद एक जल कुन्ड को लेकर काफी प्राचीन मान्यता है. यह मान्‍यता आज भी कायम है. इस कुन्ड को लेकर मान्यता है कि इसमें स्नान करने से शरीर के ऊपर के फोड़ाफुन्सी खत्‍म हो जाते हैं.

लोगों ने यहां तक कहना है कि इस कुंड में स्‍नान करने से कुष्ठ रोग से भी मुक्ति मिलती है. गुमला जिला मुख्यालय से अस्सी किलोमीटर की दूरी पर सुन्दर पहाड़ों के बीच से बहने वाली नदी के तट पर स्थित इस जल कुन्ड के बारे में जानकारो ने बताया की इसे तरकी कुन्ड के नाम से जाना जाता है. उन्होंने बताया की इस कुन्ड में राजा रानी स्नान करने के लिए आते थे. इसी दौरान रानी के कान का कुन्डल पानी में गिर गया, जिसके बाद से इस कुन्ड में स्नान करने वालो को चर्म रोग से मुक्ति मिल पाता है.

स्‍थानीय निवासी राधेश्याम सिंह ने बताया कि सालभर लोग इस जल कुन्ड में स्नान करने के लिए आते है लेकिन मकर संक्रांति के दिन इसका ज्यादा महत्व होता है जिसके कारण झारखंड के विभिन्न इलाकों के साथ ही छत्तीसगढ़ और उड़ीसा से भी लोग यहां आकर इस कुन्ड में स्नान करते है और यहां पूजा करते है लोगों की मान्यता है कि राजा-रानी इससे हीरा निकालने के लिए स्नान करने के लिए आए थे. उसी दौरान रानी का कुन्डल यहां गिरा था.

स्‍थानीय निवासी सरवर अंसारी ने बताया कि इस जल कुन्ड का ऐतिहासिक महत्व होने के कारण वर्षों से दूरदराज से लोग आते तो है लेकिन इस स्थान के विकास को लेकर सही रूप से पहल नहीं होने के चलते धीरे-धीरे इस स्थान आने वाले लोगों की संख्या कम होती जा रही है.

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