इस घर का एक गेट खुलता है हरियाणा में तो दूसरा राजस्थान, एक राज्य से मिलती है बिजली और दूसरे से पानी
अक्सर आपने छोटी-छोटी बातों पर घर में बंटवारे की दीवार खींची देखी-सुनी होगी, लेकिन एक घर के दो राज्यों में बंटे होने का किस्सा शायद ही कहीं सुना हो। आज हम आपको ऐसे ही एक घर की हकीकत से आपको रू-ब-रू करा रहे हैं। इसका एक दरवाजा हरियाणा में तो दूसरा राजस्थान में खुलता है। एक तरफ से पीने को पानी मिलता है तो दूसरी तरफ से घर में उजाला होता है। इतना ही नहीं, परिवार के लोग राजनीति भी दोनों राज्यों में बराबर की कर रहे हैं।
हरियाणा-राजस्थान के बॉर्डर पर एक ऐसा अनोखा घर है, जिसका आधा हिस्सा हरियाणा में और आधा राजस्थान में है। इस घर में दो राज्यों की राजनीति की बिसात तो बिछती है। परिवार में चाचा हरियाणा से पूर्व पार्षद और भतीजा राजस्थान में तीसरी बार पार्षद चुने गए हैं। घर का एक गेट राजस्थान तो दूसरा गेट हरियाणा में खुलता है। यह लंबा चौड़ा घर इसलिए भी अनोखा है, क्योंकि यहां राजस्थान से पानी तो हरियाणा से बिजली की सप्लाई आती है।
रेवाड़ी का धारूहेड़ा और अलवर का भिवाड़ी दोनों ही बड़े ओद्योगिक क्षेत्र हैं। दोनों ही कस्बे आपस में मिले हुए हैं। बॉर्डर जहां से शुरू होती है, उसके ठीक साथ एक 4 हजार गज का लंबा चौड़ा मकान है। इस मकान के दो दरवाजे हैं, जिनमें दोनों ही राज्यों की सैर परिवार के सदस्य घर के भीतर ही कर लेते हैं।
चाचा दो बार रहे पार्षद तो भतीजा लगातार तीसरी बार बना पार्षद
परिवार में चाचा कृष्ण दायमा हरियाणा के धारूहेड़ा में वार्ड नंबर-3 से दो बार पार्षद रह चुके हैं, जबकि भतीजा हवा सिंह भी राजस्थान के भिवाड़ी नगर पालिका के वार्ड नंबर-2 से लगातार तीसरी बार पार्षद चुने गए हैं। परिवार के कुछ बच्चे राजस्थान तो बाकी हरियाणा के स्कूलों में पढ़ते हैं। हालांकि परिवार को खुशी है कि वह दो राज्यों के बीच बसे हुए हैं। उन्हें सुविधाओं का भी अभाव इसलिए नहीं है। उनके मकान के चारों तरफ की दीवारों के साथ उनकी ही जमीन पर मार्केट बना हुआ है। यह घर भिवाड़ी-धारूहेड़ा के बॉर्डर पर बना है।
पूर्वजों ने किया था निर्माण, देखने पर नहीं लगता सीमा का अंदाजा
पूर्व पार्षद कृष्ण दायमा बताते हैं कि उनके पूर्वज के समय से ही वह इस मकान में रहते आ रहे हैं। हरियाणा में उनके मकान की 1 हजार वर्ग गज की जगह है, जबकि राजस्थान में 3 हजार वर्ग गज है, लेकिन मकान इस तरह बना है कि कोई अंदाजा ही नहीं लगा सकता कि यह घर दो राज्यों की सीमा पर बना है। परिवार में 10 से ज्यादा सदस्य हैं।
शुरुआत में नेटवर्क की प्राब्लम थी
कृष्ण दायमा बताते है कि शुरुआत में जब मोबाइल का जमाना आया तो उनके परिवार को सबसे बड़ी समस्या मोबाइल नेटवर्क की थी। या तो राजस्थान के भीतर 400 मीटर या फिर हरियाणा की सीमा में कुछ मीटर चलने के बाद मोबाइल का नेटवर्क आता था। साथ ही रोमिंग भी लग जाती थी, लेकिन अब यह समस्या दूर हो चुकी है।
एक दशक से ज्यादा समय से राजनीति में, भतीजे के बाद चाचा ने भी लड़ा चुनाव
शुरुआत में कृष्ण दायमा के भाई के बेटे हवा सिंह ने राजनीति में कदम रखा था। हवा सिंह की सारी पढ़ाई राजस्थान के ही स्कूल में हुई थी, इसलिए उसका खास लगाव राजस्थान से रहा। वह राजस्थान के भिवाड़ी नगर पालिका से लगातार तीसरी बार पार्षद चुने गए हैं। वहीं चाचा कृष्ण दायमा लगातार दो बार रेवाड़ी जिले के धारूहेड़ा नगर पालिका के वार्ड नंबर-3 से पार्षद रहे हैं। हालांकि इस बार दिसंबर में भी उन्होंने चुनाव लड़ा, लेकिन वह कुछ वोट से हार गए।
घर की तरह परिवार भी दो हिस्सों में
कहने को तो यह पूरा दायमा परिवार के साथ रहते हैं। घर की रसोई भी एक है, लेकिन परिवार के कुछ लोगों ने अपनी पहचान के लिए राजस्थान के आईडी-प्रूफ बनवाए हैं। एक भाई के परिवार ने हरियाणा के कागजात बनवाए हुए हैं। दोनों ही परिवार खुश हैं कि वह इस अनोखे घर में रह रहे हैं।
दूर-दूर से आते हैं लोग
परिवार के ही सदस्य मोहन दायमा ने बताया कि उन्हें तो हरियाणा और राजस्थान एक ही लगते है, क्योंकि वे जन्म से ही इस घर में रहते आ रहे हैं। जब बड़े हुए तो पता चला कि हमारा घर दो राज्यों का हिस्सा है। मोहन बताते हैं कि उनके घर को लोग देखने भी आते हैं।
कई गरीब बेटियों के विवाह में की मदद
दायमा परिवार राजनीति के साथ ही समाजसेवा में भी अग्रणी रहा है। इस परिवार ने बहुत सी गरीब लड़कियों के विवाह से लेकर गरीबों की अन्य प्रकार से मदद की है। वहीं जहां भी गरीबों की मदद की जरूरत होती है तो इस परिवार के सदस्य हमेशा उसके लिए तत्पर रहते हैं।
घर की दीवार के साथ दो राज्यों की मार्केट
घर में रहने वाले परिवार ही नहीं, बल्कि घर की दीवार के साथ एक पूरी मार्केट भी बनी हुई है। 10 से ज्यादा दुकानें हरियाणा तो अन्य दुकानें राजस्थान में हैं। एक मेडिकल स्टोर तो ऐसा है, जो आधा हरियाणा और आधा राजस्थान में है।