अजब-गजब

इस दूकानदार ने 6 साल से दुकान में टांग रखे हैं फटे कपड़े, लेकिन जब अंदर जाके देखा तो उड़ गये सभी के होश

आज कल सोशल मीडिया का जमाना है जिसके वजह से हम देश और दुनिया की हर खबर को आसानी से जान पाते है| आये दिन हमे सोशल मीडिया पर कई ऐसी खबरे जानने को मिलती है जिसके बारे में हम कभी सोच भी नहीं सकते हैं |ये तो हम सभी जानते हैं की इस दुनिया में अजीबो गरीब इंसानों की कमी नहीं है और जब इन्सान अजीब होंगे तो उनके कारनामे में भी अजीब ही होंगे ना |आज हम आपके लिए के बार फिर से एक ऐसा ही अजीब किस्सा लेकर आये है जिसे जानकर आप भी सोचने पर मजबूर हो जायेंगे |

जैसा की हम सभी जानते है की कपड़े खरीदना और पहनना हमारे जीवन की एक मूलभूत आवश्यकता है और कपडे खरीदने के लिए जब भी हम बाजार जाते है तो वहाँ हमे कपड़े की एक नहीं बल्कि कई सारी द्दुकाने दिखती है लेकिन हम उन्ही दुकान में जाते है जिसका डिस्प्ले काफी खुबसूरत हो ,इसीलिए ज्यादातर कपड़े के दुकान वाले अपनी दुकान के सामने अच्छी से अच्छी ड्रेस लगाते है ताकि ग्राहक उनकी दुकान की तरह आकर्षित हो और उनके बिक्री हो सके और कहा भी तो जाता है की जो दीखता है वही बिकता है |

लेकिन आज हम आपको एक ऐसी दुकान के बारे में बताने वाले है जो 6 साल पुरानी कपड़ों की दुकान है लेकिन इस दुकान की खास बात ये है की इस दुकान का डिस्प्ले और दुकानों से बिल्कुल ही अलग है जहाँ और दुकानों में दुकान के बहार अच्छी से अच्छी ड्रेस लगायी जाती है वही इस दुकान के बाहर बिल्कुल ही फटे चीटे और पुराने कपडे लगे हुए है लेकिन इस दुकान की सच्चाई कुछ और ही है |आज हम आपको उसी सच्चाई के बारे में बताने वाले हैं |

दरअसल ये दुकान मध्य प्रदेश के जिला बालाघाट के तहसील वारासिवनी में स्थित है जिसका नाम है मानीबाई गोलछा साड़ी & रेडीमेड और इस कान के दूकानदार के सामने बेहद ही फटेचीटे कपड़े टांग कर रखे हुए है ,| इस दुकान के सामने से दुकान की शक्ल देखकर ऐसा इस दुकान का दुकानदार या तो बहुत आलसी है, जिसकी वजह से वो अपनी दुकान की ऐसी हालत कर के रखा है या फिर सके दिमाग में कोई प्लान है.

 

आपकी जानकारी के लिए बता दे इस दुकान के दुकानदार का नाम है पीयूष गोलछा जो की धर्म से जैन हैं और ये भाई पक्के पुजारी हैं और पियूष हर रोज सुबह उठकर पूजा करने जाते हैं और पूजा करने के बाद अपनी दुकान को सुबह 8:00 बजे खोल लेते हैं|अब आप सोच रहे होंगे की इस दुकान में आखिर मिलता ही क्या होगा तो हम आपको बताते है की इस दुकान की असलियत क्या है |दरअसल इस दुकान जब भी लोग आते हैं तो इतना हंसते हैं कि कभी-कभी तो पागल तक हो जाते हैं। लेकिन जब दुकान के अंदर प्रवेश करते हैं तो सारी की सारी हंसी गंभीर चेहरा बन जाती है। क्योंकि भाई यहां सब कुछ मिलता है सब कुछ मतलब कि सब कुछ|

पियूष की इस दुकान में पैदाइश से मरने तक की ड्रेस, बिना जेब की नैपी से लेकर बिना जेब के कफन तक सब कुछ। पूरी मार्केट में कपड़ों को 80-90 दुकाने हैं। लेकिन हर जगह सब कुछ नहीं मिलता क्योंकि ज्यादातर दूकानदार अपने ज्यादा से ज्यादा पैसे दुकान की साज सज्जा में लगा देते है जो पियूष की इस दूकान में बिल्कुल भी नहीं होता वे अपनी दुकान का डिस्प्ले और दुकानों से बिलकुल अलग रखे हुए है लेकिन सामान के मामले में उनकी दूकान सभी दुकानों से आगे है.

पीयूष ने बताया उनकी इस अनोखी दुकान पर 110 नंबर तक की चड्डी भी मिल जाती है जो की और दुकानों पर जल्दी नहीं मिल पाती और तो और 1000 में चार साड़ी और 10000 में एक साड़ी भी मिल जाती है। पीयूष ने इस दुकान से बहुत दाम भी कमाया और नाम भी और इसके साथ ही पियूष ने जो दिखता है वो बिकता है’ वाली थ्योरी भी पलट दी क्योंकि पियूष के अनुसार अब वो बिकता है जो भाईसाब बेचते हैं

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