इस बार मकर संक्रांति 14 को नहीं, 15 को
दस्तक टाइम्स/एजेंसी
इस बार 2016 में मकर सक्रांति का पर्व 14 के बजाय 15 जनवरी को मनाया जाएगा। मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ जुडा हुआ है। ज्योतिषी चंद्रमोहन दाधीच ने बताया कि सूर्य 14 जनवरी को अद्र्धरात्रि के बाद 1.26 बजे मकर राशि में प्रवेश करेगा। इस कारण संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी को सूर्योदय से सायंकाल 5.26 मिनट तक रहेगा। इससे पूर्व 2008 में भी 14 जनवरी को अर्द्धरात्रि बाद 12.09 मिनट पर सूर्य ने मकर राशि में प्रवेश किया था।.क्यों आई 15 कोपृथ्वी अपनी धुरी पर घूमते हुए प्रतिवर्ष 55 विकला या 72 से 90 सालों में एक अंश पीछे रह जाती है। इससे सूर्य मकर राशि में एक दिन देरी से प्रवेश करता हैं। करीब 1700 साल पहले 22 दिसम्बर को मकर संक्रांति मानी जाती थी। इसके बाद पृथ्वी के घूमने की गति के चलते यह धीरे-धीरे दिसम्बर के बजाय जनवरी तक आने लगी।ज्योतिष मठ संस्थान के विनोद गौतम का कहना है कि मकर संक्रांति का समय हर 80 से 100 साल में एक दिन आगे बढ़ जाता है। 19 वी शताब्दी में कई बार मकर संक्रांति 13 और 14 जनवरी को मनाई जाती थी। पिछले तीन साल से लगातार संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी को मनाया जा रहा है। 2017 और 2018 में संक्रांति 14 जनवरी को शाम को अर्की होगी, लेकिन उसका पुण्यकाल 15 जनवरी को ही माना जाएगा, क्योंकि सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है, तब संक्रांति मानी जाती है। इसका पर्व काल 12 घंटे तक रहता है।यह सूर्य आराधना का पर्व है, इसलिए अगर शाम अथवा रात्रि में सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होता है, तो शास्त्र अनुसार अगले दिन पर्व मनाया जाता है। इसका विशेष पुण्यकाल 12 घंटे तक रहता है। आने वाले सालों में मकर संक्रांति का पर्व अब 15 जनवरी को ही मनाया जाएगा। सूर्य स्थिर है और पृथ्वी सहित सारे ग्रह सूर्य के चक्कर लगाते हैं। निर्णय राशियों के पीछे चले जाने के कारण हर 80 से 100 साल में यह अंतर आता है।साल 2016 में मकर सक्रांति 15 को ही मनाई जाएगी। फिर मकर सक्रांति मनाए जाने का यह क्रम हर दो साल के अन्तराल में बदलता रहेगा। लीप ईयर वर्ष आने के कारण मकर संक्रांति 2017 व 2018 में वापस 14 जनवरी को व साल 2019 व 2020 में 15 जनवरी को मनाई जाएगी। यह क्रम 2030 तक चलेगा। इसके बाद तीन साल 15 जनवरी को व एक साल 14 जनवरी को सक्रांति मनाई जाएगी। पौष माह में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। साथ ही सूर्य उत्तरायण हो जाता है। यह भगवान सूर्य की आराधना का पर्व है। इस दिन पवित्र तीर्थों में स्नान और दान का काफी महत्व है। मान्यता है कि इस दिन तीर्थों में स्नान और दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति तो होती ही है, साथ ही रोगों का निवारण भी होता है, इसलिए इसे स्नानदान का पर्व भी कहा जाता है।