नई दिल्ली : सऊदी अरब के मक्का में हर साल दुनियाभर के लाखों मुसलमान हज के लिए इकठ्ठा होते हैं| हज तीर्थयात्रा में मुस्लिम मक्का और उसके नजदीकी पवित्र स्थलों अराफात, मीना और मुजदलिफा जाते हैं| हर हैसियतमंद मुसलमान पर जिंदगी में एक बार हज करना फर्ज है| इस बार हज यात्रा के दौरान एक अलग नजारा देखने को मिला| लाखों हज तीर्थयात्रियों की भीड़ में भारतीयों को अलग से पहचाना जा सकता था| हज तीर्थयात्रियों में भारतीयों की पहचान बता रहा था, उनके हाथ में तिरंगे वाला छाता| वैसे तो हज तीर्थयात्री धूप से बचने के लिए छाता लेकर चलते हैं, लेकिन भारतीयों के छाते से उनकी राष्ट्रीयता भी जाहिर हो रही थी|
पवित्र शहर मक्का के निकट मीना में “ईद-उल-अजहा” के पहले दिन शैतान का प्रतीक माने गए तीन खंभों को कंकड़ मारने के लिए लाखों तीर्थयात्रियों का कारवां बढ़ता है| तीर्थयात्रियों के इस सैलाब में तिरंगे छाते दूर से नजर आ रहे थे| मीना शहर के “शैतानी पिलर” पर कंकड़ फेंकने की रस्म को जमारात कहते हैं| जो हर साल हज की आखिरी कड़ी होती है| हज कमिटी ऑफ इंडिया के सदस्य इरफान अहमद ने कहा, हज तीर्थयात्रियों की भीड़ में से भारतीय अपने छाते की वजह से आसानी से पहचाने जा सकते थे| तिरंगे वाला छाता भारतीय तीर्थयात्रियों को गर्वान्वित करता है, इसके अलावा उन्हें हज कमिटी के रडार में रहने में मदद करता है| उन्होंने कहा कि तिरंगा छाता तीर्थयात्रियों को यह भी याद दिलाता है, कि जब वे अपने लिए खुदा से रहमत मांगें तो अपनी मातृभूमि के लिए भी दुआ जरूर करें|
हज पर गए भारतीय यात्रियों के कैंपों में तिरंगा भी होता है| सोशल मीडिया पर तिरंगे वाला हिजाब पहने हुए हज पर गईं महिलाओं की तस्वीरें भी सामने आई थीं| बता दें कि हज के लिए हर देश का बकायदा कोटा तय किया जाता है| तय कोटे के मुताबिक हर देश से तीर्थयात्री हज करने जाते हैं|