अद्धयात्म

इस मंदिर में नहीं है देवी की कोई प्रतिमा पर होते हैं सोलह श्रृंगार

एजेंसी/ ambaji-temple-gujarat_650x400_41464941267गुजरात का विश्व प्रसिद्ध अंबाजी मंदिर देश के इक्यावन शक्तिपीठों में अग्रगण्य है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस मंदिर में देवी सती का हृदय गिरा था। इसका उल्लेख ‘तंत्र-चूड़ामणि’ ग्रंथ में भी मिलता है।

गर्भगृह में नहीं है देवी की कोई प्रतिमा..
यह मंदिर गुजरात-राजस्थान सीमा पर अरावली शृंखला के अरासुर पर्वत पर स्थित है, जो देश का एक अत्यंत प्राचीन मंदिर है। सामान्य मंदिरों के विपरीत इस मंदिर गर्भगृह में देवी की कोई प्रतिमा स्थापित नहीं है।

यहां होती है श्रीयंत्र की पूजा…
इस मंदिर में देवी की प्रतिमा के स्थान पर हिन्दुओं के पवित्र श्रीयंत्र का पूजन होता है। इस यंत्र को भी श्रद्धालु प्रत्यक्ष तौर पर सीधी आंखों से नहीं देख सकते हैं। यहां इसका फोटो खींचना भी वर्जित है।

होता है अद्भुत शृंगार…
यहां के पुजारी इस श्रीयंत्र का श्रृंगार इतना अद्भुत ढंग से करते हैं कि श्रद्धालुओं को प्रतीत होता है कि मां अंबाजी यहां साक्षात विराजमान हैं। इसके समीप ही पवित्र अखण्ड ज्योति जलती है, जिसके बारे में कहते हैं कि यह कभी नहीं बुझी।

गब्बर पहाड़ी है देवी का पुराना मंदिर …
अम्बाजी मंदिर से औसत तीन किलोमीटर दूर गब्बर नाम के पहाड़ पर देवी मां का पुरातन मंदिर स्थित है। यहां आज भी एक पत्थर पर मां के पदचिह्न और रथचिह्न के निशान मिलते हैं।

यहां हुआ था श्रीकृष्ण का मुंडन…
इस मंदिर के विषय में प्रचलित मान्यता है है कि यहीं पर भगवान् श्रीकृष्ण का मुंडन संस्कार संपन्न हुआ था। लोग यह मानते हैं कि भगवान राम भी शक्ति-उपासना के लिए यहां आए थे।

भाद्रपद माह में लगता है विशाल मेला…
यहां हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा को एक विशाल मेला लगता है। नवरात्र के मौके पर यहां दूर-दूर से श्रद्धालु देवी मां के दर्शन के लिए इकट्ठे होते हैं। इस मौके पर यहां मंदिर के प्रांगण में गरबा और भवई नृत्य करके देवी शक्ति की आराधना की जाती है।

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