अजब-गजब

इस मंदिर में बारिश के 7 दिन पहले ही टपकने लगती है उसकी छत

आज हम आपको बताएंगे एक ऐसे मंदिर के राज के बारे में जहां बारिश से पहले ही टपकने लगती है इसकी छत. दोस्तों, हमारे देश में कई मंदिर है और सब का अलग अलग महत्व है. लोगों की आस्था के कारण मंदिर का महत्व बरकरार रहता है. कुछ एक मंदिरों में अजीब अजीब चमत्कार देखने को मिले हैं. कहीं इसे कोई निरोगी होकर आ रहा है तो कहीं से अन्य बीमारियां ठीक हो रही है. इन्हीं ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहरों का एक नमूना है, जगन्नाथ मंदिर. जिसे गांव के लोग इन्हें ठाकुर जी बाबा के नाम से भी पुकारते हैं, जो अपनी खासियत के कारण प्रसिद्ध है.

कहाँ पर स्थित है ये मंदिर :

तो दोस्तों हम आपको बताते है, आखिर कहां है यह मंदिर ? यह मंदिर उत्तर प्रदेश के कानपूर जनपद भीतर गांव विकास खंड मुख्यालय से 3 किलोमीटर दूर बेहटा गांव में है, जहां भगवान जगन्नाथ की पूजा अर्चना होती है. इस मंदिर की छत पर बारिश होने से 15 दिन पहले ही बुँदे टपकने लगती है.

गांव के लोग इनको ठाकुर बाबा जी के नाम से पुकारते हैं. गांव वालों की यह मान्यता है कि उनके भगवान उन्हें बारिश आने से पहले ही यह एक संकेत देते हैं ताकि उनकी फसले बर्बाद न हो. दोस्तों, क्या आपको पता है कि इस का रहश्य तरह से आज भी बना हुआ है. इस मंदिर में पुरातत्वविदों ने इस रहस्य का पता लगाने की तमाम कोशिशें की लेकिन, वो कोशिशें मात्र कोशिशें ही रह गई.

वैज्ञानिक भी नहीं जान पाए रहस्य :

इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ के साथ साथ सूर्य भगवान और पद्मनाभन भगवान की मूर्ति स्थापित है. इनकी दीवारें 24 मोटी है और आज ये मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है. हालांकि इस रहश्य को जानने के लिए कई बार प्रयास हो चुके हैं. पर तमाम कोशिशों के बाद भी मंदिर के निर्माण तथा रहस्य का सही समय पुरातत्व वैज्ञानिक पता नहीं लगा सके. बस इतना ही पता लग पाया की मंदिर का अंतिम जीर्णोद्धार 11 वीं सदी में हुआ था. इसके पहले कब और कितने जीर्णोद्धार हुए या इसका निर्माण किसने कराया आज भी अबूझ पहेली बनी हुई है.

मंदिर की छत से बुँदे टपकने का रहश्य :

तो दोस्तों, हम आपको बताते है कि इस मंदिर में कैसे होता है चमत्कार. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस मंदिर के ऊपर चमत्कारी मानसून पत्थर लगे हैं. कहा जाता है, कि इसी की बदौलत मानसून आने से पहले इस मंदिर की छत से बुँदे टपकने लगती है. यह बुँदे बिल्कुल बारिश की बूंदों की तरह होती है. जिस दिन यहाँ बारिश होनी शुरू होती है उसी दिन यहां यह बुँदे टपकनी बंद हो जाती है. इसी संदेश के साथ स्थानीय लोगों को यह पता चल जाता है कि बारिश शुरु होने वाली है.

इस मंदिर की खासियत यह है कि बारिश होने के 7 दिन पहले ही इस के गर्भ गृह की छत से पानी टपकने लगती है. सबसे बड़ा अजूबा यह है कि इससे टपके बुँदे भी बारिश की बूंदों के आकर में होती है. दोस्तों, क्या आपको पता है कि इस मंदिर को बारिश मंदिर भी कहा जाता है.

बुँदे बता देती है सूखा या अच्छी बारिश होगी :

जुलाई में यहां भगवान जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव होता है इसमें रथ खीचने और पूजा करने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. जन्माष्टमी के दौरान भी यहां पर भव्य मेला लगता है. आश्चर्यजनक ये है कि बारिश मंदिर के नाम से लोकप्रिय ये मंदिर अच्छी और खराब बारिश की ओर भी इशारा कर देता है, जिस का निर्धारण टपकती बूंदों के आकर से होता है. यदि छत से टपकती पानी की बुँदे बड़ी आकर की होती है – ये अच्छे मानसून का संकेत है. यदि बुँदे छोटी होती है, तो सूखा पड़ने की आशंका होती है.

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